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अल्लाह के नाम से जो बड़ा कृपाशील अत्यन्त दयावान है।
بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
الرَّحْمَٰنُ |1|55
रहमान ने
عَلَّمَ الْقُرْآنَ |2|55
क़ुरआन सिखाया;
خَلَقَ الْإِنسَانَ |3|55
उसी ने मनुष्य को पैदा किया;
عَلَّمَهُ الْبَيَانَ |4|55
उसे बोलना सिखाया;
الشَّمْسُ وَالْقَمَرُ بِحُسْبَانٍ |5|55
सूर्य और चन्द्रमा एक हिसाब के पाबन्द हैं;
وَالنَّجْمُ وَالشَّجَرُ يَسْجُدَانِ |6|55
और तारे और वृक्ष सजदा करते हैं;
وَالسَّمَاءَ رَفَعَهَا وَوَضَعَ الْمِيزَانَ |7|55
उसने आकाश को ऊँचा किया और संतुलन स्थापित किया -
أَلَّا تَطْغَوْا فِي الْمِيزَانِ |8|55
कि तुम भी तुला में सीमा का उल्लंघन न करो।
وَأَقِيمُوا الْوَزْنَ بِالْقِسْطِ وَلَا تُخْسِرُوا الْمِيزَانَ |9|55
न्याय के साथ ठीक-ठीक तौलो और तौल में कमी न करो। -
وَالْأَرْضَ وَضَعَهَا لِلْأَنَامِ |10|55
और धरती को उसने सृष्ट प्राणियों के लिए बनाया;
فِيهَا فَاكِهَةٌ وَالنَّخْلُ ذَاتُ الْأَكْمَامِ |11|55
उसमें स्वादिष्ट फल हैं और खजूर के वृक्ष हैं, जिनके फल आवरणों में लिपटे हुए हैं,
وَالْحَبُّ ذُو الْعَصْفِ وَالرَّيْحَانُ |12|55
और भुसवाले अनाज भी और सुगंधित बेल-बूटा भी।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ |13|55
तो तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
خَلَقَ الْإِنسَانَ مِن صَلْصَالٍ كَالْفَخَّارِ |14|55
उसने मनुष्य को ठीकरी जैसी खनखनाती हुई मिट्टी से पैदा किया;
وَخَلَقَ الْجَانَّ مِن مَّارِجٍ مِّن نَّارٍ |15|55
और जिन्न को उसने आग की लपट से पैदा किया।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ |16|55
फिर तुम दोनों अपने रब की सामर्थ्यों में से किस-किस को झुठलाओगे?
رَبُّ الْمَشْرِقَيْنِ وَرَبُّ الْمَغْرِبَيْنِ |17|55
वह दो पूर्व का रब है और दो पश्चिम का रब भी।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ |18|55
अतः तुम दोनों अपने रब की महानताओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
مَرَجَ الْبَحْرَيْنِ يَلْتَقِيَانِ |19|55
उसने दो समुद्रों को प्रवाहित कर दिया, जो आपस में मिल रहे होते हैं।
بَيْنَهُمَا بَرْزَخٌ لَّا يَبْغِيَانِ |20|55
उन दोनों के बीच एक परदा बाधक होता है, जिसका वे अतिक्रमण नहीं करते।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ |21|55
तो तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे?
يَخْرُجُ مِنْهُمَا اللُّؤْلُؤُ وَالْمَرْجَانُ |22|55
उन (समुद्रों) से मोती और मूँगा निकलता है।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ |23|55
अतः तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे?
وَلَهُ الْجَوَارِ الْمُنشَآتُ فِي الْبَحْرِ كَالْأَعْلَامِ |24|55
उसी के बस में है समुद्र में पहाड़ों की तरह उठे हुए जहाज़।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ |25|55
तो तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
كُلُّ مَنْ عَلَيْهَا فَانٍ |26|55
प्रत्येक जो भी इस (धरती) पर है, नाशवान है।
وَيَبْقَىٰ وَجْهُ رَبِّكَ ذُو الْجَلَالِ وَالْإِكْرَامِ |27|55
किन्तु तुम्हारे रब का प्रतापवान और उदार स्वरूप शेष रहनेवाला है।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ |28|55
अतः तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे?
يَسْأَلُهُ مَن فِي السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ ۚ كُلَّ يَوْمٍ هُوَ فِي شَأْنٍ |29|55
आकाशों और धरती में जो भी है उसी से माँगता है। उसकी नित्य नई शान है।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ |30|55
अतः तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
سَنَفْرُغُ لَكُمْ أَيُّهَ الثَّقَلَانِ |31|55
ऐ दोनों बोझो! शीघ्र ही हम तुम्हारे लिए निवृत हुए जाते हैं।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ |32|55
तो तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
يَا مَعْشَرَ الْجِنِّ وَالْإِنسِ إِنِ اسْتَطَعْتُمْ أَن تَنفُذُوا مِنْ أَقْطَارِ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ فَانفُذُوا ۚ لَا تَنفُذُونَ إِلَّا بِسُلْطَانٍ |33|55
ऐ जिन्नों और मनुष्यों के गरोह! यदि तुमसे हो सके कि आकाशों और धरती की सीमाओं को पार कर सको, तो पार कर जाओ; तुम कदापि पार नहीं कर सकते बिना अधिकार-शक्ति के।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ |34|55
अतः तुम दोनों अपने रब की सामर्थ्यों में से किस-किस को झुठलाओगे?
يُرْسَلُ عَلَيْكُمَا شُوَاظٌ مِّن نَّارٍ وَنُحَاسٌ فَلَا تَنتَصِرَانِ |35|55
तुम दोनों पर अग्नि-ज्वाला और धुएँवाला अंगारा (पिघला ताँबा) छोड़ दिया जाएगा, फिर तुम मुक़ाबला न कर सकोगे।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ |36|55
अतः तुम दोनों अपने रब की सामर्थ्यों में से किस-किस को झुठलाओगे?
فَإِذَا انشَقَّتِ السَّمَاءُ فَكَانَتْ وَرْدَةً كَالدِّهَانِ |37|55
फिर जब आकाश फट जाएगा और लाल चमड़े की तरह लाल हो जाएगा।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ |38|55
- अतः तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे?
فَيَوْمَئِذٍ لَّا يُسْأَلُ عَن ذَنبِهِ إِنسٌ وَلَا جَانٌّ |39|55
फिर उस दिन न किसी मनुष्य से उसके गुनाह के विषय में पूछा जाएगा न किसी जिन्न से।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ |40|55
अतः तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे?
يُعْرَفُ الْمُجْرِمُونَ بِسِيمَاهُمْ فَيُؤْخَذُ بِالنَّوَاصِي وَالْأَقْدَامِ |41|55
अपराधी अपने चेहरों से पहचान लिए जाएँगे और उनके माथे के बालों और टाँगों द्वारा उन्हें पकड़ लिया जाएगा।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ |42|55
अतः तुम दोनों अपने रब की सामर्थ्यों में से किस-किस को झुठलाओगे?
هَٰذِهِ جَهَنَّمُ الَّتِي يُكَذِّبُ بِهَا الْمُجْرِمُونَ |43|55
यही वह जहन्नम है जिसे अपराधी लोग झूठ ठहराते रहे हैं।
يَطُوفُونَ بَيْنَهَا وَبَيْنَ حَمِيمٍ آنٍ |44|55
वे उसके और खौलते हुए पानी के बीच चक्कर लगा रहे होंगे।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ |45|55
फिर तुम दोनों अपने रब के सामर्थ्यों में से किस-किस को झुठलाओगे?
وَلِمَنْ خَافَ مَقَامَ رَبِّهِ جَنَّتَانِ |46|55
किन्तु जो अपने रब के सामने खड़े होने का डर रखता होगा, उसके लिए दो बाग़ हैं। -
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ |47|55
तो तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे? -
ذَوَاتَا أَفْنَانٍ |48|55
घनी डालियोंवाले;
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ |49|55
अतः तुम दोनों अपने रब के उपकारों में से किस-किस को झुठलाओगे?
فِيهِمَا عَيْنَانِ تَجْرِيَانِ |50|55
उन दोनों (बाग़ो) में दो प्रवाहित स्रोत हैं।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ |51|55
अतः तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
فِيهِمَا مِن كُلِّ فَاكِهَةٍ زَوْجَانِ |52|55
उन दोनों (बाग़ों) मे हर स्वादिष्ट फल की दो-दो किस्में हैं;
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ |53|55
अतः तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे?
مُتَّكِئِينَ عَلَىٰ فُرُشٍ بَطَائِنُهَا مِنْ إِسْتَبْرَقٍ ۚ وَجَنَى الْجَنَّتَيْنِ دَانٍ |54|55
वे ऐसे बिछौनों पर तकिया लगाए हुए होंगे जिनके अस्तर गाढ़े रेशम के होंगे, और दोनों बाग़ों के फल झुके हुए निकट ही होंगे।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ |55|55
अतः तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे?
فِيهِنَّ قَاصِرَاتُ الطَّرْفِ لَمْ يَطْمِثْهُنَّ إِنسٌ قَبْلَهُمْ وَلَا جَانٌّ |56|55
उन (अनुकम्पाओं) में निगाह बचाए रखनेवाली (सुन्दर) स्त्रियाँ होंगी, जिन्हें उनसे पहले न किसी मनुष्य ने हाथ लगाया होगा और न किसी जिन्न ने।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ |57|55
फिर तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
كَأَنَّهُنَّ الْيَاقُوتُ وَالْمَرْجَانُ |58|55
मानो वे लाल (याक़ूत) और प्रवाल (मूँगा) हैं।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ |59|55
अतः तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
هَلْ جَزَاءُ الْإِحْسَانِ إِلَّا الْإِحْسَانُ |60|55
अच्छाई का बदला अच्छाई के सिवा और क्या हो सकता है?
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ |61|55
अतः तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
وَمِن دُونِهِمَا جَنَّتَانِ |62|55
उन दोनों से हटकर दो और बाग़ हैं।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ |63|55
फिर तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
مُدْهَامَّتَانِ |64|55
गहरे हरित;
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ |65|55
अतः तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
فِيهِمَا عَيْنَانِ نَضَّاخَتَانِ |66|55
उन दोनों (बाग़ों) में दो स्रोत हैं जोश मारते हुए।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ |67|55
अतः तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे?
فِيهِمَا فَاكِهَةٌ وَنَخْلٌ وَرُمَّانٌ |68|55
उनमें हैं स्वादिष्ट फल और खजूर और अनार;
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ |69|55
अतः तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
فِيهِنَّ خَيْرَاتٌ حِسَانٌ |70|55
उनमें भली और सुन्दर स्त्रियाँ होंगी।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ |71|55
तो तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
حُورٌ مَّقْصُورَاتٌ فِي الْخِيَامِ |72|55
हूरें (परम रूपवती स्त्रियाँ) ख़ेमों में रहनेवाली;
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ |73|55
अतः तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे?
لَمْ يَطْمِثْهُنَّ إِنسٌ قَبْلَهُمْ وَلَا جَانٌّ |74|55
जिन्हें उनसे पहले न किसी मनुष्य ने हाथ लगाया होगा और न किसी जिन्न ने।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ |75|55
अतः तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
مُتَّكِئِينَ عَلَىٰ رَفْرَفٍ خُضْرٍ وَعَبْقَرِيٍّ حِسَانٍ |76|55
वे हरे रेशमी गद्दों और उत्कृष्ट् और असाधारण क़ालीनों पर तकिया लगाए होंगे;
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ |77|55
अतः तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
تَبَارَكَ اسْمُ رَبِّكَ ذِي الْجَلَالِ وَالْإِكْرَامِ |78|55
बड़ा ही बरकतवाला नाम है तुम्हारे प्रतापवान और उदार रब का।