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अल्लाह के नाम से जो बड़ा कृपाशील अत्यन्त दयावान है।
بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
وَالصَّافَّاتِ صَفًّا |1|37
गवाह है परा जमाकर पंक्तिबद्ध होनेवाले;
فَالزَّاجِرَاتِ زَجْرًا |2|37
फिर डाँटनेवाले;
فَالتَّالِيَاتِ ذِكْرًا |3|37
फिर यह ज़िक्र करनेवाले
إِنَّ إِلَٰهَكُمْ لَوَاحِدٌ |4|37
कि तुम्हारा पूज्य-प्रभु अकेला है।
رَّبُّ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا وَرَبُّ الْمَشَارِقِ |5|37
वह आकाशों और धरती और जो कुछ उनके बीच है सबका रब है और पूर्व दिशाओं का भी रब है।
إِنَّا زَيَّنَّا السَّمَاءَ الدُّنْيَا بِزِينَةٍ الْكَوَاكِبِ |6|37
हमने दुनिया के आकाश को सजावट अर्थात तारों से सुसज्जित किया, (रात में मुसाफ़िरों को मार्ग दिखाने)
وَحِفْظًا مِّن كُلِّ شَيْطَانٍ مَّارِدٍ |7|37
और प्रत्येक सरकश शैतान से सुरक्षित रखने के लिए।
لَّا يَسَّمَّعُونَ إِلَى الْمَلَإِ الْأَعْلَىٰ وَيُقْذَفُونَ مِن كُلِّ جَانِبٍ |8|37
वे (शैतान) "मलए आला" की ओर कान नहीं लगा पाते और हर ओर से फेंक मारे जाते हैं भगाने-धुतकारने के लिए।
دُحُورًا ۖ وَلَهُمْ عَذَابٌ وَاصِبٌ |9|37
और उनके लिए अनवरत यातना है।
إِلَّا مَنْ خَطِفَ الْخَطْفَةَ فَأَتْبَعَهُ شِهَابٌ ثَاقِبٌ |10|37
किन्तु यह और बात है कि कोई कुछ उचक ले, इस दशा में एक तेज़ दहकती उल्का उसका पीछा करती है।
فَاسْتَفْتِهِمْ أَهُمْ أَشَدُّ خَلْقًا أَم مَّنْ خَلَقْنَا ۚ إِنَّا خَلَقْنَاهُم مِّن طِينٍ لَّازِبٍ |11|37
अब उनसे पूछो कि उनके पैदा करने का काम अधिक कठिन है या उन चीज़ों का, जो हमने पैदा कर रखी हैं। निस्संदेह हमने उनको लेसदार मिट्टी से पैदा किया।
بَلْ عَجِبْتَ وَيَسْخَرُونَ |12|37
बल्कि तुम तो आश्चर्य में हो और वे हैं कि परिहास कर रहे हैं।
وَإِذَا ذُكِّرُوا لَا يَذْكُرُونَ |13|37
और जब उन्हें याद दिलाया जाता है, तो वे याद नहीं करते,
وَإِذَا رَأَوْا آيَةً يَسْتَسْخِرُونَ |14|37
और जब कोई निशानी देखते हैं तो हँसी उड़ाते हैं।
وَقَالُوا إِنْ هَٰذَا إِلَّا سِحْرٌ مُّبِينٌ |15|37
और कहते हैं, "यह तो बस एक प्रत्यक्ष जादू है।
أَإِذَا مِتْنَا وَكُنَّا تُرَابًا وَعِظَامًا أَإِنَّا لَمَبْعُوثُونَ |16|37
क्या जब हम मर चुके होंगे और मिट्टी और हड्डियाँ होकर रह जाएँगे, तो क्या फिर हम उठाए जाएँगे?
أَوَآبَاؤُنَا الْأَوَّلُونَ |17|37
क्या और हमारे पहले के बाप-दादा भी?"
قُلْ نَعَمْ وَأَنتُمْ دَاخِرُونَ |18|37
कह दो, "हाँ! और तुम अपमानित भी होगे।"
فَإِنَّمَا هِيَ زَجْرَةٌ وَاحِدَةٌ فَإِذَا هُمْ يَنظُرُونَ |19|37
वह तो बस एक झिड़की होगी। फिर क्या देखेंगे कि वे ताकने लगे हैं।
وَقَالُوا يَا وَيْلَنَا هَٰذَا يَوْمُ الدِّينِ |20|37
और वे कहेंगे, "ऐ अफ़सोस हमपर! यह तो बदले का दिन है।"
هَٰذَا يَوْمُ الْفَصْلِ الَّذِي كُنتُم بِهِ تُكَذِّبُونَ |21|37
यह वही फ़ैसले का दिन है जिसे तुम झुठलाते रहे हो।
۞ احْشُرُوا الَّذِينَ ظَلَمُوا وَأَزْوَاجَهُمْ وَمَا كَانُوا يَعْبُدُونَ |22|37
(कहा जाएगा,) "एकत्र करो उन लोगों को जिन्होंने ज़ुल्म किया और उनके जोड़ीदारों को भी और उनको भी जिनकी अल्लाह से हटकर वे बन्दगी करते रहे हैं।
مِن دُونِ اللَّهِ فَاهْدُوهُمْ إِلَىٰ صِرَاطِ الْجَحِيمِ |23|37
फिर उन सबको भड़कती हुई आग की राह दिखाओ!
وَقِفُوهُمْ ۖ إِنَّهُم مَّسْئُولُونَ |24|37
और तनिक उन्हें ठहराओ, उनसे पूछना है,
مَا لَكُمْ لَا تَنَاصَرُونَ |25|37
"तुम्हें क्या हो गया, जो तुम एक-दूसरे की सहायता नहीं कर रहे हो?"
بَلْ هُمُ الْيَوْمَ مُسْتَسْلِمُونَ |26|37
बल्कि वे तो आज बड़े आज्ञाकारी हो गए हैं।
وَأَقْبَلَ بَعْضُهُمْ عَلَىٰ بَعْضٍ يَتَسَاءَلُونَ |27|37
वे एक-दूसरे की ओर रुख़ करके पूछते हुए कहेंगे,
قَالُوا إِنَّكُمْ كُنتُمْ تَأْتُونَنَا عَنِ الْيَمِينِ |28|37
"तुम तो हमारे पास आते थे दाहिने से (और बाएँ से)।"
قَالُوا بَل لَّمْ تَكُونُوا مُؤْمِنِينَ |29|37
वे कहेंगे, "नहीं, बल्कि तुम स्वयं ही ईमानवाले न थे।
وَمَا كَانَ لَنَا عَلَيْكُم مِّن سُلْطَانٍ ۖ بَلْ كُنتُمْ قَوْمًا طَاغِينَ |30|37
और हमारा तो तुमपर कोई ज़ोर न था, बल्कि तुम स्वयं ही सरकश लोग थे।
فَحَقَّ عَلَيْنَا قَوْلُ رَبِّنَا ۖ إِنَّا لَذَائِقُونَ |31|37
अन्ततः हमपर हमारे रब की बात सत्यापित होकर रही। निस्संदेह हमें (अपनी करतूत का) मज़ा चखना ही होगा।
فَأَغْوَيْنَاكُمْ إِنَّا كُنَّا غَاوِينَ |32|37
सो हमने तुम्हें बहकाया। निश्चय ही हम स्वयं बहके हुए थे।"
فَإِنَّهُمْ يَوْمَئِذٍ فِي الْعَذَابِ مُشْتَرِكُونَ |33|37
अतः वे सब उस दिन यातना में एक-दूसरे के सह-भागी होंगे।
إِنَّا كَذَٰلِكَ نَفْعَلُ بِالْمُجْرِمِينَ |34|37
हम अपराधियों के साथ ऐसा ही किया करते हैं।
إِنَّهُمْ كَانُوا إِذَا قِيلَ لَهُمْ لَا إِلَٰهَ إِلَّا اللَّهُ يَسْتَكْبِرُونَ |35|37
उनका हाल यह था कि जब उनसे कहा जाता कि "अल्लाह के सिवा कोई पूज्य-प्रभु नहीं है।" तो वे घमंड में आ जाते थे।
وَيَقُولُونَ أَئِنَّا لَتَارِكُو آلِهَتِنَا لِشَاعِرٍ مَّجْنُونٍ |36|37
और कहते थे, "क्या हम एक उन्मादी कवि के लिए अपने उपास्यों को छोड़ दें?"
بَلْ جَاءَ بِالْحَقِّ وَصَدَّقَ الْمُرْسَلِينَ |37|37
"नहीं, बल्कि वह सत्य लेकर आया है और वह (पिछले) रसूलों की पुष्टि में है।
إِنَّكُمْ لَذَائِقُو الْعَذَابِ الْأَلِيمِ |38|37
निश्चय ही तुम दुखद यातना का मज़ा चखोगे। -
وَمَا تُجْزَوْنَ إِلَّا مَا كُنتُمْ تَعْمَلُونَ |39|37
तुम बदला वही तो पाओगे जो तुम करते हो।" -
إِلَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ |40|37
अलबत्ता अल्लाह के उन बन्दों की बात और है, जिनको उसने चुन लिया है।
أُولَٰئِكَ لَهُمْ رِزْقٌ مَّعْلُومٌ |41|37
वही लोग हैं जिनके लिए जानी-बूझी नियत रोज़ी है,
فَوَاكِهُ ۖ وَهُم مُّكْرَمُونَ |42|37
स्वादिष्ट फल।
فِي جَنَّاتِ النَّعِيمِ |43|37
और वे नेमत भरी जन्नतों
عَلَىٰ سُرُرٍ مُّتَقَابِلِينَ |44|37
में सम्मानपूर्वक होंगे, तख़्तों पर आमने-सामने विराजमान होंगे;
يُطَافُ عَلَيْهِم بِكَأْسٍ مِّن مَّعِينٍ |45|37
उनके बीच विशुद्ध पेय का पात्र फिराया जाएगा,
بَيْضَاءَ لَذَّةٍ لِّلشَّارِبِينَ |46|37
बिलकुल साफ़, उज्जवल, पीनेवालों के लिए सर्वथा सुस्वादु।
لَا فِيهَا غَوْلٌ وَلَا هُمْ عَنْهَا يُنزَفُونَ |47|37
न उसमें कोई ख़ुमार होगा और न वे उससे निढाल और मदहोश होंगे।
وَعِندَهُمْ قَاصِرَاتُ الطَّرْفِ عِينٌ |48|37
और उनके पास निगाहें बचाए रखनेवाली, सुन्दर आँखोंवाली स्त्रियाँ होंगी,
كَأَنَّهُنَّ بَيْضٌ مَّكْنُونٌ |49|37
मानो वे सुरक्षित अंडे हैं।
فَأَقْبَلَ بَعْضُهُمْ عَلَىٰ بَعْضٍ يَتَسَاءَلُونَ |50|37
फिर वे एक-दूसरे की ओर रुख़ करके आपस में पूछेंगे।
قَالَ قَائِلٌ مِّنْهُمْ إِنِّي كَانَ لِي قَرِينٌ |51|37
उनमें से एक कहनेवाला कहेगा, "मेरा एक साथी था;
يَقُولُ أَإِنَّكَ لَمِنَ الْمُصَدِّقِينَ |52|37
जो कहा करता था, ‘क्या तुम भी पुष्टि करनेवालों में से हो?
أَإِذَا مِتْنَا وَكُنَّا تُرَابًا وَعِظَامًا أَإِنَّا لَمَدِينُونَ |53|37
क्या जब हम मर चुके होंगे और मिट्टी और हड्डियाँ होकर रह जाएँगे, तो क्या हम वास्तव में बदला पाएँगे’?"
قَالَ هَلْ أَنتُم مُّطَّلِعُونَ |54|37
वह कहेगा, "क्या तुम झाँककर देखोगे?"
فَاطَّلَعَ فَرَآهُ فِي سَوَاءِ الْجَحِيمِ |55|37
फिर वह झाँकेगा तो उसे भड़कती हुई आग के बीच में देखेगा।
قَالَ تَاللَّهِ إِن كِدتَّ لَتُرْدِينِ |56|37
कहेगा, "अल्लाह की क़सम! तुम तो मुझे तबाह ही करने को थे।
وَلَوْلَا نِعْمَةُ رَبِّي لَكُنتُ مِنَ الْمُحْضَرِينَ |57|37
यदि मेरे रब की अनुकम्पा न होती तो अवश्य ही मैं भी पकड़कर हाज़िर किए गए लोगों में से होता।
أَفَمَا نَحْنُ بِمَيِّتِينَ |58|37
है ना अब ऐसा कि हम मरने के नहीं।
إِلَّا مَوْتَتَنَا الْأُولَىٰ وَمَا نَحْنُ بِمُعَذَّبِينَ |59|37
हमें जो मृत्यु आनी थी वह बस पहले आ चुकी। और न हमें कोई यातना ही दी जाएगी!"
إِنَّ هَٰذَا لَهُوَ الْفَوْزُ الْعَظِيمُ |60|37
निश्चय ही यही बड़ी सफलता है।
لِمِثْلِ هَٰذَا فَلْيَعْمَلِ الْعَامِلُونَ |61|37
ऐसी ही चीज़ के लिए कर्म करनेवालों को कर्म करना चाहिए।
أَذَٰلِكَ خَيْرٌ نُّزُلًا أَمْ شَجَرَةُ الزَّقُّومِ |62|37
क्या वह आतिथ्य अच्छा है या 'ज़क़्क़ूम' का वृक्ष?
إِنَّا جَعَلْنَاهَا فِتْنَةً لِّلظَّالِمِينَ |63|37
निश्चय ही हमने उस (वृक्ष) को ज़ालिमों के लिए परीक्षा बना दिया है।
إِنَّهَا شَجَرَةٌ تَخْرُجُ فِي أَصْلِ الْجَحِيمِ |64|37
वह एक वृक्ष है जो भड़कती हुई आग की तह से निकलता है।
طَلْعُهَا كَأَنَّهُ رُءُوسُ الشَّيَاطِينِ |65|37
उसके गाभे मानो शैतानों के सिर (साँपों के फन) हैं।
فَإِنَّهُمْ لَآكِلُونَ مِنْهَا فَمَالِئُونَ مِنْهَا الْبُطُونَ |66|37
तो वे उसे खाएँगे और उसी से पेट भरेंगे।
ثُمَّ إِنَّ لَهُمْ عَلَيْهَا لَشَوْبًا مِّنْ حَمِيمٍ |67|37
फिर उनके लिए उसपर खौलते हुए पानी का मिश्रण होगा।
ثُمَّ إِنَّ مَرْجِعَهُمْ لَإِلَى الْجَحِيمِ |68|37
फिर उनकी वापसी भड़कती हुई आग की ओर होगी।
إِنَّهُمْ أَلْفَوْا آبَاءَهُمْ ضَالِّينَ |69|37
निश्चय ही उन्होंने अपने बाप-दादा को पथभ्रष्ट पाया।
فَهُمْ عَلَىٰ آثَارِهِمْ يُهْرَعُونَ |70|37
फिर वे उन्हीं के पद-चिन्हों पर दौड़ते रहे।
وَلَقَدْ ضَلَّ قَبْلَهُمْ أَكْثَرُ الْأَوَّلِينَ |71|37
और उनसे पहले भी पूर्ववर्ती लोगों में अधिकांश पथभ्रष्ट हो चुके हैं,
وَلَقَدْ أَرْسَلْنَا فِيهِم مُّنذِرِينَ |72|37
हमने उनमें सचेत करनेवाले भेजे थे।
فَانظُرْ كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُنذَرِينَ |73|37
तो अब देख लो उन लोगों का कैसा परिणाम हुआ, जिन्हें सचेत किया गया था।
إِلَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ |74|37
अलबत्ता अल्लाह के उन बन्दों की बात और है, जिनको उसने चुन लिया है।
وَلَقَدْ نَادَانَا نُوحٌ فَلَنِعْمَ الْمُجِيبُونَ |75|37
नूह ने हमको पुकारा था, तो हम कैसे अच्छे हैं निवेदन स्वीकार करनेवाले!
وَنَجَّيْنَاهُ وَأَهْلَهُ مِنَ الْكَرْبِ الْعَظِيمِ |76|37
हमने उसे और उसके लोगों को बड़ी घुटन और बेचैनी से छुटकारा दिया।
وَجَعَلْنَا ذُرِّيَّتَهُ هُمُ الْبَاقِينَ |77|37
और हमने उसकी संतति (औलाद व अनुयायी) ही को बाक़ी रखा।
وَتَرَكْنَا عَلَيْهِ فِي الْآخِرِينَ |78|37
और हमने पीछे आनेवाली नस्लों में उसका अच्छा ज़िक्र छोड़ा
سَلَامٌ عَلَىٰ نُوحٍ فِي الْعَالَمِينَ |79|37
कि "सलाम है नूह पर सम्पूर्ण संसारवालों में!"
إِنَّا كَذَٰلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ |80|37
निस्संदेह हम उत्तमकारों को ऐसा ही बदला देते हैं।
إِنَّهُ مِنْ عِبَادِنَا الْمُؤْمِنِينَ |81|37
निश्चय ही वह हमारे ईमानवाले बन्दों में से था।
ثُمَّ أَغْرَقْنَا الْآخَرِينَ |82|37
फिर हमने दूसरों को डूबो दिया।
۞ وَإِنَّ مِن شِيعَتِهِ لَإِبْرَاهِيمَ |83|37
और इबराहीम भी उसी के सहधर्मियों में से था।
إِذْ جَاءَ رَبَّهُ بِقَلْبٍ سَلِيمٍ |84|37
याद करो, जब वह अपने रब के समक्ष भला-चंगा हृदय लेकर आया;
إِذْ قَالَ لِأَبِيهِ وَقَوْمِهِ مَاذَا تَعْبُدُونَ |85|37
जबकि उसने अपने बाप और अपनी क़ौम के लोगों से कहा, "तुम किस चीज़ की पूजा करते हो?
أَئِفْكًا آلِهَةً دُونَ اللَّهِ تُرِيدُونَ |86|37
क्या अल्लाह से हटकर मनघड़ंत उपास्यों को चाह रहे हो?
فَمَا ظَنُّكُم بِرَبِّ الْعَالَمِينَ |87|37
आख़िर सारे संसार के रब के विषय में तुम्हारा क्या गुमान है?"
فَنَظَرَ نَظْرَةً فِي النُّجُومِ |88|37
फिर उसने एक दृष्टि तारों पर डाली।
فَقَالَ إِنِّي سَقِيمٌ |89|37
और कहा, "मैं तो निढाल हूँ।"
فَتَوَلَّوْا عَنْهُ مُدْبِرِينَ |90|37
अतएव वे उसे छोड़कर चले गए पीठ फेरकर।
فَرَاغَ إِلَىٰ آلِهَتِهِمْ فَقَالَ أَلَا تَأْكُلُونَ |91|37
फिर वह आँख बचाकर उनके देवताओं की ओर गया और कहा, "क्या तुम खाते नहीं?
مَا لَكُمْ لَا تَنطِقُونَ |92|37
तुम्हें क्या हुआ है कि तुम बोलते नहीं?"
فَرَاغَ عَلَيْهِمْ ضَرْبًا بِالْيَمِينِ |93|37
फिर वह भरपूर हाथ मारते हुए उनपर पिल पड़ा।
فَأَقْبَلُوا إِلَيْهِ يَزِفُّونَ |94|37
फिर वे लोग झपटते हुए उसकी ओर आए।
قَالَ أَتَعْبُدُونَ مَا تَنْحِتُونَ |95|37
उसने कहा, "क्या तुम उनको पूजते हो, जिन्हें स्वयं तराशते हो,
وَاللَّهُ خَلَقَكُمْ وَمَا تَعْمَلُونَ |96|37
जबकि अल्लाह ने तुम्हें भी पैदा किया है और उनको भी, जिन्हें तुम बनाते हो?"
قَالُوا ابْنُوا لَهُ بُنْيَانًا فَأَلْقُوهُ فِي الْجَحِيمِ |97|37
वे बोले, "उसके लिए एक मकान (अर्थात अग्नि-कुंड) तैयार करके उसे भड़कती आग में डाल दो!"
فَأَرَادُوا بِهِ كَيْدًا فَجَعَلْنَاهُمُ الْأَسْفَلِينَ |98|37
अतः उन्होंने उसके साथ एक चाल चलनी चाही, किन्तु हमने उन्हीं को नीचा दिखा दिया।
وَقَالَ إِنِّي ذَاهِبٌ إِلَىٰ رَبِّي سَيَهْدِينِ |99|37
उसने कहा, "मैं अपने रब की ओर जा रहा हूँ, वह मेरा मार्गदर्शन करेगा।
رَبِّ هَبْ لِي مِنَ الصَّالِحِينَ |100|37
ऐ मेरे रब! मुझे कोई नेक संतान प्रदान कर।"