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अल्लाह के नाम से जो बड़ा कृपाशील अत्यन्त दयावान है।
بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
طسم |1|26
ता॰ सीन॰ मीम॰
تِلْكَ آيَاتُ الْكِتَابِ الْمُبِينِ |2|26
ये स्पष्ट किताब की आयतें हैं।
لَعَلَّكَ بَاخِعٌ نَّفْسَكَ أَلَّا يَكُونُوا مُؤْمِنِينَ |3|26
शायद इसपर कि वे ईमान नहीं लाते, तुम अपने प्राण ही खो बैठोगे।
إِن نَّشَأْ نُنَزِّلْ عَلَيْهِم مِّنَ السَّمَاءِ آيَةً فَظَلَّتْ أَعْنَاقُهُمْ لَهَا خَاضِعِينَ |4|26
यदि हम चाहें तो उनपर आकाश से एक निशानी उतार दें। फिर उनकी गर्दनें उसके आगे झुकी रह जाएँ।
وَمَا يَأْتِيهِم مِّن ذِكْرٍ مِّنَ الرَّحْمَٰنِ مُحْدَثٍ إِلَّا كَانُوا عَنْهُ مُعْرِضِينَ |5|26
उनके पास रहमान की ओर से जो नवीन अनुस्मृति भी आती है, वे उससे मुँह फेर ही लेते हैं।
فَقَدْ كَذَّبُوا فَسَيَأْتِيهِمْ أَنبَاءُ مَا كَانُوا بِهِ يَسْتَهْزِئُونَ |6|26
अब जबकि वे झुठला चुके हैं, तो शीघ्र ही उन्हें उसकी हक़ीकत मालूम हो जाएगी, जिसका वे मज़ाक़ उड़ाते रहे हैं।
أَوَلَمْ يَرَوْا إِلَى الْأَرْضِ كَمْ أَنبَتْنَا فِيهَا مِن كُلِّ زَوْجٍ كَرِيمٍ |7|26
क्या उन्होंने धरती को नहीं देखा कि हमने उसमें कितने ही प्रकार की उमदा चीज़ें पैदा की हैं?
إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ |8|26
निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है, इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं।
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ |9|26
और निश्चय ही तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है।
وَإِذْ نَادَىٰ رَبُّكَ مُوسَىٰ أَنِ ائْتِ الْقَوْمَ الظَّالِمِينَ |10|26
और जबकि तुम्हारे रब ने मूसा को पुकारा कि "ज़ालिम लोगों के पास जा -
قَوْمَ فِرْعَوْنَ ۚ أَلَا يَتَّقُونَ |11|26
फ़िरऔन की क़ौम के पास - क्या वे डर नहीं रखते?"
قَالَ رَبِّ إِنِّي أَخَافُ أَن يُكَذِّبُونِ |12|26
उसने कहा, "ऐ मेरे रब! मुझे डर है कि वे मुझे झुठला देंगे,
وَيَضِيقُ صَدْرِي وَلَا يَنطَلِقُ لِسَانِي فَأَرْسِلْ إِلَىٰ هَارُونَ |13|26
और मेरा सीना घुटता है और मेरी ज़बान नहीं चलती। इसलिए हारून की ओर भी संदेश भेज दे।
وَلَهُمْ عَلَيَّ ذَنبٌ فَأَخَافُ أَن يَقْتُلُونِ |14|26
और मुझपर उनके यहाँ के एक गुनाह का बोझ भी है। इसलिए मैं डरता हूँ कि वे मुझे मार डालेंगे।"
قَالَ كَلَّا ۖ فَاذْهَبَا بِآيَاتِنَا ۖ إِنَّا مَعَكُم مُّسْتَمِعُونَ |15|26
कहा, "कदापि नहीं, तुम दोनों हमारी निशानियाँ लेकर जाओ। हम तुम्हारे साथ हैं, सुनने को मौजूद हैं।
فَأْتِيَا فِرْعَوْنَ فَقُولَا إِنَّا رَسُولُ رَبِّ الْعَالَمِينَ |16|26
अतः तुम दोनो फ़िरऔन को पास जाओ और कहो कि ‘हम सारे संसार के रब के भेजे हुए हैं।
أَنْ أَرْسِلْ مَعَنَا بَنِي إِسْرَائِيلَ |17|26
कि तू इसराईल की सन्तान को हमारे साथ जाने दे’।"
قَالَ أَلَمْ نُرَبِّكَ فِينَا وَلِيدًا وَلَبِثْتَ فِينَا مِنْ عُمُرِكَ سِنِينَ |18|26
(फ़िरऔन ने) कहा, "क्या हमने तुझे जबकि तू बच्चा था, अपने यहाँ पाला नहीं था? और तू अपनी अवस्था के कई वर्षों तक हमारे साथ रहा,
وَفَعَلْتَ فَعْلَتَكَ الَّتِي فَعَلْتَ وَأَنتَ مِنَ الْكَافِرِينَ |19|26
और तूने अपना वह काम किया, जो किया। तू बड़ा ही कृतघ्न है।"
قَالَ فَعَلْتُهَا إِذًا وَأَنَا مِنَ الضَّالِّينَ |20|26
कहा, “ऐसा तो मुझसे उस समय हुआ जबकि मैं चूक गया था।
فَفَرَرْتُ مِنكُمْ لَمَّا خِفْتُكُمْ فَوَهَبَ لِي رَبِّي حُكْمًا وَجَعَلَنِي مِنَ الْمُرْسَلِينَ |21|26
फिर जब मुझे तुम्हारा भय हुआ तो मैं तुम्हारे यहाँ से भाग गया। फिर मेरे रब ने मुझे निर्णय-शक्ति प्रदान की और मुझे रसूलों में सम्मिलित किया।
وَتِلْكَ نِعْمَةٌ تَمُنُّهَا عَلَيَّ أَنْ عَبَّدتَّ بَنِي إِسْرَائِيلَ |22|26
यही वह उदार अनुग्रह है जिसका एहसान तू मुझपर जताता है कि तूने इसराईल की सन्तान को ग़ुलाम बना रखा है।"
قَالَ فِرْعَوْنُ وَمَا رَبُّ الْعَالَمِينَ |23|26
फ़िरऔन ने कहा, "और यह सारे संसार का रब क्या होता है?"
قَالَ رَبُّ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا ۖ إِن كُنتُم مُّوقِنِينَ |24|26
उसने कहा, "आकाशों और धरती का रब और जो कुछ इन दोनों के मध्य है उसका भी, यदि तुम्हें यक़ीन हो।"
قَالَ لِمَنْ حَوْلَهُ أَلَا تَسْتَمِعُونَ |25|26
उसने अपने आस-पासवालों से कहा, "क्या तुम सुनते नहीं हो?"
قَالَ رَبُّكُمْ وَرَبُّ آبَائِكُمُ الْأَوَّلِينَ |26|26
कहा, "तुम्हारा रब और तुम्हारे अगले बाप-दादा का रब।"
قَالَ إِنَّ رَسُولَكُمُ الَّذِي أُرْسِلَ إِلَيْكُمْ لَمَجْنُونٌ |27|26
बोला, "निश्चय ही तुम्हारा यह रसूल, जो तुम्हारी ओर भेजा गया है, बिलकुल ही पागल है।"
قَالَ رَبُّ الْمَشْرِقِ وَالْمَغْرِبِ وَمَا بَيْنَهُمَا ۖ إِن كُنتُمْ تَعْقِلُونَ |28|26
उसने कहा, "पूर्व और पश्चिम का रब और जो कुछ उनके बीच है उसका भी, यदि तुम कुछ बुद्धि रखते हो।"
قَالَ لَئِنِ اتَّخَذْتَ إِلَٰهًا غَيْرِي لَأَجْعَلَنَّكَ مِنَ الْمَسْجُونِينَ |29|26
बोला, "यदि तूने मेरे सिवा किसी और को पूज्य एवं प्रभु बनाया, तो मैं तुझे बन्दी बनाकर रहूँगा।"
قَالَ أَوَلَوْ جِئْتُكَ بِشَيْءٍ مُّبِينٍ |30|26
उसने कहा, "क्या यदि मैं तेरे पास एक स्पष्ट चीज़ ले आऊँ तब भी?"
قَالَ فَأْتِ بِهِ إِن كُنتَ مِنَ الصَّادِقِينَ |31|26
बोलाः “अच्छा वह ले आ; यदि तू सच्चा है” ।
فَأَلْقَىٰ عَصَاهُ فَإِذَا هِيَ ثُعْبَانٌ مُّبِينٌ |32|26
फिर उसने अपनी लाठी डाल दी, तो अचानक क्या देखते हैं कि वह एक प्रत्यक्ष अजगर है।
وَنَزَعَ يَدَهُ فَإِذَا هِيَ بَيْضَاءُ لِلنَّاظِرِينَ |33|26
और उसने अपना हाथ बाहर खींचा तो फिर क्या देखते हैं कि वह देखनेवालों के सामने चमक रहा है।
قَالَ لِلْمَلَإِ حَوْلَهُ إِنَّ هَٰذَا لَسَاحِرٌ عَلِيمٌ |34|26
उसने अपने आस-पास के सरदारों से कहा, "निश्चय ही यह एक बड़ा ही प्रवीण जादूगर है।
يُرِيدُ أَن يُخْرِجَكُم مِّنْ أَرْضِكُم بِسِحْرِهِ فَمَاذَا تَأْمُرُونَ |35|26
चाहता है कि अपने जादू से तुम्हें तुम्हारी अपनी भूमि से निकाल बाहर करे; तो अब तुम क्या कहते हो?"
قَالُوا أَرْجِهْ وَأَخَاهُ وَابْعَثْ فِي الْمَدَائِنِ حَاشِرِينَ |36|26
उन्होंने कहा, "इसे और इसके भाई को अभी टाले रखिए और एकत्र करनेवालों को नगरों में भेज दीजिए।
يَأْتُوكَ بِكُلِّ سَحَّارٍ عَلِيمٍ |37|26
कि वे प्रत्येक प्रवीण जादूगर को आपके पास ले आएँ।"
فَجُمِعَ السَّحَرَةُ لِمِيقَاتِ يَوْمٍ مَّعْلُومٍ |38|26
अतएव एक निश्चित दिन के नियत समय पर जादूगर एकत्र कर लिए गए।
وَقِيلَ لِلنَّاسِ هَلْ أَنتُم مُّجْتَمِعُونَ |39|26
और लोगों से कहा गया, "क्या तुम भी एकत्र होते हो?"
لَعَلَّنَا نَتَّبِعُ السَّحَرَةَ إِن كَانُوا هُمُ الْغَالِبِينَ |40|26
कदाचित हम जादूगरों ही के अनुयायी रह जाएँ, यदि वे विजयी हुए।
فَلَمَّا جَاءَ السَّحَرَةُ قَالُوا لِفِرْعَوْنَ أَئِنَّ لَنَا لَأَجْرًا إِن كُنَّا نَحْنُ الْغَالِبِينَ |41|26
फिर जब जादूगर आए तो उन्होंने फ़िरऔन से कहा, "क्या हमारे लिए कोई प्रतिदान भी है, यदि हम प्रभावी रहे?"
قَالَ نَعَمْ وَإِنَّكُمْ إِذًا لَّمِنَ الْمُقَرَّبِينَ |42|26
उसने कहा, "हाँ, और निश्चित ही तुम तो उस समय निकटतम लोगों में से हो जाओगे।"
قَالَ لَهُم مُّوسَىٰ أَلْقُوا مَا أَنتُم مُّلْقُونَ |43|26
मूसा ने उनसे कहा, "डालो, जो कुछ तुम्हें डालना है।"
فَأَلْقَوْا حِبَالَهُمْ وَعِصِيَّهُمْ وَقَالُوا بِعِزَّةِ فِرْعَوْنَ إِنَّا لَنَحْنُ الْغَالِبُونَ |44|26
तब उन्होंने अपनी रस्सियाँ और लाठियाँ डाल दीं और बोले, "फ़िरऔन के प्रताप से हम ही विजयी रहेंगे।"
فَأَلْقَىٰ مُوسَىٰ عَصَاهُ فَإِذَا هِيَ تَلْقَفُ مَا يَأْفِكُونَ |45|26
फिर मूसा ने अपनी लाठी फेंकी तो क्या देखते हैं कि वह उस स्वाँग को, जो वे रचा करते हैं, निगलती जा रही है।
فَأُلْقِيَ السَّحَرَةُ سَاجِدِينَ |46|26
इसपर जादूगर सजदे में गिर पड़े।
قَالُوا آمَنَّا بِرَبِّ الْعَالَمِينَ |47|26
वे बोल उठे, "हम सारे संसार के रब पर ईमान ले आए -
رَبِّ مُوسَىٰ وَهَارُونَ |48|26
मूसा और हारून के रब पर!"
قَالَ آمَنتُمْ لَهُ قَبْلَ أَنْ آذَنَ لَكُمْ ۖ إِنَّهُ لَكَبِيرُكُمُ الَّذِي عَلَّمَكُمُ السِّحْرَ فَلَسَوْفَ تَعْلَمُونَ ۚ لَأُقَطِّعَنَّ أَيْدِيَكُمْ وَأَرْجُلَكُم مِّنْ خِلَافٍ وَلَأُصَلِّبَنَّكُمْ أَجْمَعِينَ |49|26
उसने कहा, "तुमने उसको मान लिया, इससे पहले कि मैं तुम्हें अनुमति देता। निश्चय ही वह तुम सबका प्रमुख है, जिसने तुमको जादू सिखाया है। अच्छा, शीघ्र ही तुम्हें मालूम हुआ जाता है! मैं तुम्हारे हाथ और पाँव विपरीत दिशाओं से कटवा दूँगा और तुम सभी को सूली पर चढ़ा दूँगा।"
قَالُوا لَا ضَيْرَ ۖ إِنَّا إِلَىٰ رَبِّنَا مُنقَلِبُونَ |50|26
उन्होंने कहा, "कुछ हरज नहीं; हम तो अपने रब ही की ओर पलटकर जानेवाले हैं।
إِنَّا نَطْمَعُ أَن يَغْفِرَ لَنَا رَبُّنَا خَطَايَانَا أَن كُنَّا أَوَّلَ الْمُؤْمِنِينَ |51|26
हमें तो इसी की लालसा है कि हमारा रब हमारी ख़ताओं को क्षमा कर दे, क्योंकि हम सबसे पहले ईमान लाए।"
۞ وَأَوْحَيْنَا إِلَىٰ مُوسَىٰ أَنْ أَسْرِ بِعِبَادِي إِنَّكُم مُّتَّبَعُونَ |52|26
हमने मूसा की ओर प्रकाशना की, "मेरे बन्दों को लेकर रातों-रात निकल जा। निश्चय ही तुम्हारा पीछा किया जाएगा।"
فَأَرْسَلَ فِرْعَوْنُ فِي الْمَدَائِنِ حَاشِرِينَ |53|26
इसपर फ़िरऔन ने एकत्र करनेवालों को नगर में भेजा।
إِنَّ هَٰؤُلَاءِ لَشِرْذِمَةٌ قَلِيلُونَ |54|26
कि "यह गिरे-पड़े थोड़े लोगों का एक गिरोह है,
وَإِنَّهُمْ لَنَا لَغَائِظُونَ |55|26
और ये हमें क्रुद्ध कर रहे हैं।
وَإِنَّا لَجَمِيعٌ حَاذِرُونَ |56|26
और हम चौकन्ना रहनेवाले लोग हैं।"
فَأَخْرَجْنَاهُم مِّن جَنَّاتٍ وَعُيُونٍ |57|26
इस प्रकार हम उन्हें बाग़ों और स्रोतों
وَكُنُوزٍ وَمَقَامٍ كَرِيمٍ |58|26
और ख़जानों और अच्छे स्थान से निकाल लाए।
كَذَٰلِكَ وَأَوْرَثْنَاهَا بَنِي إِسْرَائِيلَ |59|26
ऐसा ही हम करते हैं और इनका वारिस हमने इसराईल की सन्तान को बना दिया।
فَأَتْبَعُوهُم مُّشْرِقِينَ |60|26
सुबह-तड़के उन्होंने उनका पीछा किया।
فَلَمَّا تَرَاءَى الْجَمْعَانِ قَالَ أَصْحَابُ مُوسَىٰ إِنَّا لَمُدْرَكُونَ |61|26
फिर जब दोनों गिरोहों ने एक-दूसरे को देख लिया तो मूसा के साथियों ने कहा, "हम तो पकड़े गए!"
قَالَ كَلَّا ۖ إِنَّ مَعِيَ رَبِّي سَيَهْدِينِ |62|26
उसने कहा, "कदापि नहीं, मेरे साथ मेरा रब है। वह अवश्य मेरा मार्गदर्शन करेगा।"
فَأَوْحَيْنَا إِلَىٰ مُوسَىٰ أَنِ اضْرِب بِّعَصَاكَ الْبَحْرَ ۖ فَانفَلَقَ فَكَانَ كُلُّ فِرْقٍ كَالطَّوْدِ الْعَظِيمِ |63|26
तब हमने मूसा की ओर प्रकाशना की, "अपनी लाठी सागर पर मार।" तो वह फट गया और (उसका) प्रत्येक टुकड़ा एक बड़े पहाड़ की भाँति हो गया।
وَأَزْلَفْنَا ثَمَّ الْآخَرِينَ |64|26
और हम दूसरों को भी निकट ले आए।
وَأَنجَيْنَا مُوسَىٰ وَمَن مَّعَهُ أَجْمَعِينَ |65|26
हमने मूसा को और उन सबको जो उसके साथ थे, बचा लिया।
ثُمَّ أَغْرَقْنَا الْآخَرِينَ |66|26
और दूसरों को डूबो दिया।
إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ |67|26
निस्संदेह इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं।
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ |68|26
और निश्चय ही तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है।
وَاتْلُ عَلَيْهِمْ نَبَأَ إِبْرَاهِيمَ |69|26
और उन्हें इबराहीम का वृत्तान्त सुनाओ,
إِذْ قَالَ لِأَبِيهِ وَقَوْمِهِ مَا تَعْبُدُونَ |70|26
जबकि उसने अपने बाप और अपनी क़ौम के लोगों से कहा, "तुम क्या पूजते हो?"
قَالُوا نَعْبُدُ أَصْنَامًا فَنَظَلُّ لَهَا عَاكِفِينَ |71|26
उन्होंने कहा, "हम बुतों की पूजा करते हैं, हम तो उन्हीं की सेवा में लगे रहेंगे।"
قَالَ هَلْ يَسْمَعُونَكُمْ إِذْ تَدْعُونَ |72|26
उसने कहा, "क्या ये तुम्हारी सुनते हैं, जब तुम पुकारते हो,
أَوْ يَنفَعُونَكُمْ أَوْ يَضُرُّونَ |73|26
या ये तुम्हें कुछ लाभ या हानि पहुँचाते हैं?"
قَالُوا بَلْ وَجَدْنَا آبَاءَنَا كَذَٰلِكَ يَفْعَلُونَ |74|26
उन्होंने कहा, "नहीं, बल्कि हमने तो अपने बाप-दादा को ऐसा ही करते पाया है।"
قَالَ أَفَرَأَيْتُم مَّا كُنتُمْ تَعْبُدُونَ |75|26
उसने कहा, "क्या तुमने उनपर विचार भी किया कि जिन्हें तुम पूजते हो,
أَنتُمْ وَآبَاؤُكُمُ الْأَقْدَمُونَ |76|26
तुम और तुम्हारे पहले के बाप-दादा?
فَإِنَّهُمْ عَدُوٌّ لِّي إِلَّا رَبَّ الْعَالَمِينَ |77|26
वे सब तो मेरे शत्रु हैं, सिवाय सारे संसार के रब के,
الَّذِي خَلَقَنِي فَهُوَ يَهْدِينِ |78|26
जिसने मुझे पैदा किया और फिर वही मेरा मार्गदर्शन करता है।
وَالَّذِي هُوَ يُطْعِمُنِي وَيَسْقِينِ |79|26
और वही है जो मुझे खिलाता और पिलाता है।
وَإِذَا مَرِضْتُ فَهُوَ يَشْفِينِ |80|26
और जब मैं बीमार होता हूँ, तो वही मुझे अच्छा करता है।
وَالَّذِي يُمِيتُنِي ثُمَّ يُحْيِينِ |81|26
और वही है जो मुझे मारेगा, फिर मुझे जीवित करेगा।
وَالَّذِي أَطْمَعُ أَن يَغْفِرَ لِي خَطِيئَتِي يَوْمَ الدِّينِ |82|26
और वही है जिससे मुझे इसकी आशा है कि बदला दिए जाने के दिन वह मेरी ख़ता माफ़ कर देगा।
رَبِّ هَبْ لِي حُكْمًا وَأَلْحِقْنِي بِالصَّالِحِينَ |83|26
ऐ मेरे रब! मुझे निर्णय-शक्ति प्रदान कर और मुझे योग्य लोगों के साथ मिला।
وَاجْعَل لِّي لِسَانَ صِدْقٍ فِي الْآخِرِينَ |84|26
और बाद के आनेवालों में मुझे सच्ची ख्याति प्रदान कर।
وَاجْعَلْنِي مِن وَرَثَةِ جَنَّةِ النَّعِيمِ |85|26
और मुझे नेमत भरी जन्नत के वारिसों में सम्मिलित कर।
وَاغْفِرْ لِأَبِي إِنَّهُ كَانَ مِنَ الضَّالِّينَ |86|26
और मेरे बाप को क्षमा कर दे। निश्चय ही वह पथभ्रष्ट लोगों में से है।
وَلَا تُخْزِنِي يَوْمَ يُبْعَثُونَ |87|26
और मुझे उस दिन रुसवा न कर, जब लोग जीवित करके उठाए जाएँगे।
يَوْمَ لَا يَنفَعُ مَالٌ وَلَا بَنُونَ |88|26
जिस दिन न माल काम आएगा और न औलाद,
إِلَّا مَنْ أَتَى اللَّهَ بِقَلْبٍ سَلِيمٍ |89|26
सिवाय इसके कि कोई भला-चंगा दिल लिए हुए अल्लाह के पास आया हो।"
وَأُزْلِفَتِ الْجَنَّةُ لِلْمُتَّقِينَ |90|26
और डर रखनेवालों के लिए जन्नत निकट लाई जाएगी।
وَبُرِّزَتِ الْجَحِيمُ لِلْغَاوِينَ |91|26
और भड़कती आग पथभ्रष्ट लोगों के लिए प्रकट कर दी जाएगी।
وَقِيلَ لَهُمْ أَيْنَ مَا كُنتُمْ تَعْبُدُونَ |92|26
और उनसे कहा जाएगा, "कहाँ हैं वे जिन्हें तुम अल्लाह को छोड़कर पूजते रहे हो?
مِن دُونِ اللَّهِ هَلْ يَنصُرُونَكُمْ أَوْ يَنتَصِرُونَ |93|26
क्या वे तुम्हारी कुछ सहायता कर रहे हैं या अपना ही बचाव कर सकते हैं?"
فَكُبْكِبُوا فِيهَا هُمْ وَالْغَاوُونَ |94|26
फिर वे उसमें औंधे झोक दिए जाएँगे, वे और बहके हुए लोग
وَجُنُودُ إِبْلِيسَ أَجْمَعُونَ |95|26
और इबलीस की सेनाएँ, सबके सब।
قَالُوا وَهُمْ فِيهَا يَخْتَصِمُونَ |96|26
वे वहाँ आपस में झगड़ते हुए कहेंगे,
تَاللَّهِ إِن كُنَّا لَفِي ضَلَالٍ مُّبِينٍ |97|26
"अल्लाह की क़सम! निश्चय ही हम खुली गुमराही में थे।
إِذْ نُسَوِّيكُم بِرَبِّ الْعَالَمِينَ |98|26
जबकि हम तुम्हें सारे संसार के रब के बराबर ठहरा रहे थे।
وَمَا أَضَلَّنَا إِلَّا الْمُجْرِمُونَ |99|26
और हमें तो बस उन अपराधियों ने ही पथभ्रष्ट किया।
فَمَا لَنَا مِن شَافِعِينَ |100|26
अब न हमारा कोई सिफ़ारिशी है,