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अल्लाह के नाम से जो बड़ा कृपाशील अत्यन्त दयावान है।
بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
لَا أُقْسِمُ بِهَٰذَا الْبَلَدِ |1|90
सुनो! मैं क़सम खाता हूँ इस नगर (मक्का) की -
وَأَنتَ حِلٌّ بِهَٰذَا الْبَلَدِ |2|90
हाल यह है कि तुम इसी नगर में रह रहे हो - 
وَوَالِدٍ وَمَا وَلَدَ |3|90
और बाप और उसकी सन्तान की, 
لَقَدْ خَلَقْنَا الْإِنسَانَ فِي كَبَدٍ |4|90
निस्संदेह हमने मनुष्य को पूर्ण अनुकूलता और सन्तुलन के साथ पैदा किया। 
أَيَحْسَبُ أَن لَّن يَقْدِرَ عَلَيْهِ أَحَدٌ |5|90
क्या वह समझता है कि उसपर किसी का बस न चलेगा?
يَقُولُ أَهْلَكْتُ مَالًا لُّبَدًا |6|90
कहता है कि "मैंने ढेरों माल उड़ा दिया।" 
أَيَحْسَبُ أَن لَّمْ يَرَهُ أَحَدٌ |7|90
क्या वह समझता है कि किसी ने उसे देखा नहीं? 
أَلَمْ نَجْعَل لَّهُ عَيْنَيْنِ |8|90
क्या हमने उसे नहीं दीं दो आँखें,
وَلِسَانًا وَشَفَتَيْنِ |9|90
और एक ज़बान और दो होंठ? 
وَهَدَيْنَاهُ النَّجْدَيْنِ |10|90
और क्या ऐसा नहीं है कि हमने दिखाई उसे दो ऊँचाइयाँ?
فَلَا اقْتَحَمَ الْعَقَبَةَ |11|90
किन्तु वह तो हुमककर घाटी में से गुज़रा ही नहीं (और न उसने मुक्ति का मार्ग पाया)
وَمَا أَدْرَاكَ مَا الْعَقَبَةُ |12|90
 और तुम्हें क्या मालूम कि वह घाटी क्या है! 
فَكُّ رَقَبَةٍ |13|90
  किसी गरदन का छुड़ाना, 
أَوْ إِطْعَامٌ فِي يَوْمٍ ذِي مَسْغَبَةٍ |14|90
 या भूख के दिन खाना खिलाना।
يَتِيمًا ذَا مَقْرَبَةٍ |15|90
किसी निकटवर्ती अनाथ को, 
أَوْ مِسْكِينًا ذَا مَتْرَبَةٍ |16|90
  या धूल-धूसरित मुहताज को; 
ثُمَّ كَانَ مِنَ الَّذِينَ آمَنُوا وَتَوَاصَوْا بِالصَّبْرِ وَتَوَاصَوْا بِالْمَرْحَمَةِ |17|90
  फिर यह कि वह उन लोगों में से हो जो ईमान लाए और जिन्होंने एक-दूसरे को धैर्य की ताकीद की, और एक-दूसरे को दया की ताकीद की।
أُولَٰئِكَ أَصْحَابُ الْمَيْمَنَةِ |18|90
 वही लोग हैं सौभाग्यशाली।
وَالَّذِينَ كَفَرُوا بِآيَاتِنَا هُمْ أَصْحَابُ الْمَشْأَمَةِ |19|90
रहे वे लोग जिन्होंने हमारी आयतों का इनकार किया, वे दुर्भाग्यशाली लोग हैं।
عَلَيْهِمْ نَارٌ مُّؤْصَدَةٌ |20|90
 उनपर आग होगी, जिसे बन्द कर दिया गया होगा।