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अल्लाह के नाम से जो बड़ा कृपाशील अत्यन्त दयावान है।
بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
هَلْ أَتَاكَ حَدِيثُ الْغَاشِيَةِ |1|88
 क्या तुम्हें उस छा जानेवाली की ख़बर पहुँची है? 
وُجُوهٌ يَوْمَئِذٍ خَاشِعَةٌ |2|88
उस दिन कितने ही चेहरे गिरे हुए होंगे,
عَامِلَةٌ نَّاصِبَةٌ |3|88
 कठिन परिश्रम में पड़े, थके-हारे, 
تَصْلَىٰ نَارًا حَامِيَةً |4|88
दहकती आग में प्रवेश करेंगे, 
تُسْقَىٰ مِنْ عَيْنٍ آنِيَةٍ |5|88
खौलते हुए स्रोत से पिएँगे, 
لَّيْسَ لَهُمْ طَعَامٌ إِلَّا مِن ضَرِيعٍ |6|88
  उनके लिए कोई खाना न होगा सिवाय एक प्रकार के ज़री के,
لَّا يُسْمِنُ وَلَا يُغْنِي مِن جُوعٍ |7|88
 जो न पुष्ट करे और न भूख मिटाए।
وُجُوهٌ يَوْمَئِذٍ نَّاعِمَةٌ |8|88
 उस दिन कितने ही चेहरे खिले हुए होंगे,
لِّسَعْيِهَا رَاضِيَةٌ |9|88
अपने प्रयास पर प्रसन्न,
فِي جَنَّةٍ عَالِيَةٍ |10|88
उच्च जन्नत में,
لَّا تَسْمَعُ فِيهَا لَاغِيَةً |11|88
जिसमें कोई व्यर्थ बात न सुनेंगे। 
فِيهَا عَيْنٌ جَارِيَةٌ |12|88
 उसमें स्रोत प्रवाहित होगा,
فِيهَا سُرُرٌ مَّرْفُوعَةٌ |13|88
 उसमें ऊँची-ऊँची मसनदें होंगी, 
وَأَكْوَابٌ مَّوْضُوعَةٌ |14|88
 प्याले ढंग से रखे होंगे, 
وَنَمَارِقُ مَصْفُوفَةٌ |15|88
 क्रम से गाव तकिए लगे होंगे,
وَزَرَابِيُّ مَبْثُوثَةٌ |16|88
और हर ओर क़ालीने बिछी होंगी।
أَفَلَا يَنظُرُونَ إِلَى الْإِبِلِ كَيْفَ خُلِقَتْ |17|88
फिर क्या वे ऊँट की ओर नहीं देखते कि कैसा बनाया गया?
وَإِلَى السَّمَاءِ كَيْفَ رُفِعَتْ |18|88
और आकाश की ओर कि कैसा ऊँचा किया गया?
وَإِلَى الْجِبَالِ كَيْفَ نُصِبَتْ |19|88
और पहाड़ों की ओर कि कैसे खड़े किए गए? 
وَإِلَى الْأَرْضِ كَيْفَ سُطِحَتْ |20|88
और धरती की ओर कि कैसी बिछाई गई?
فَذَكِّرْ إِنَّمَا أَنتَ مُذَكِّرٌ |21|88
अच्छा तो नसीहत करो! तुम तो बस एक नसीहत करनेवाले हो
لَّسْتَ عَلَيْهِم بِمُصَيْطِرٍ |22|88
 तुम उनपर कोई दरोग़ा नहीं हो।
إِلَّا مَن تَوَلَّىٰ وَكَفَرَ |23|88
 किन्तु जिस किसी ने मुँह फेरा और इनकार किया, 
فَيُعَذِّبُهُ اللَّهُ الْعَذَابَ الْأَكْبَرَ |24|88
तो अल्लाह उसे बड़ी यातना देगा।
إِنَّ إِلَيْنَا إِيَابَهُمْ |25|88
 निस्संदेह हमारी ओर ही है उनका लौटना, 
ثُمَّ إِنَّ عَلَيْنَا حِسَابَهُم |26|88
  फिर हमारे ही ज़िम्मे है उनका हिसाब लेना।