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अल्लाह के नाम से जो बड़ा कृपाशील अत्यन्त दयावान है।
بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
سَبِّحِ اسْمَ رَبِّكَ الْأَعْلَى |1|87
 तसबीह (महिमागान) करो, अपने सर्वोच्च रब के नाम की, 
الَّذِي خَلَقَ فَسَوَّىٰ |2|87
  जिसने पैदा किया, फिर ठीक-ठाक किया, 
وَالَّذِي قَدَّرَ فَهَدَىٰ |3|87
 जिसने निर्धारित किया, फिर मार्ग दिखाया, 
وَالَّذِي أَخْرَجَ الْمَرْعَىٰ |4|87
जिसने वनस्पति उगाई,
فَجَعَلَهُ غُثَاءً أَحْوَىٰ |5|87
फिर उसे ख़ूब घना और हरा-भरा कर दिया।
سَنُقْرِئُكَ فَلَا تَنسَىٰ |6|87
हम तुम्हें पढ़ा देंगे, फिर तुम भूलोगे नहीं।
إِلَّا مَا شَاءَ اللَّهُ ۚ إِنَّهُ يَعْلَمُ الْجَهْرَ وَمَا يَخْفَىٰ |7|87
बात यह है कि अल्लाह की इच्छा ही क्रियान्वित है। निश्चय ही वह जानता है खुले को भी और उसे भी जो छिपा रहे। 
وَنُيَسِّرُكَ لِلْيُسْرَىٰ |8|87
हम तुम्हें सहज ढंग से उस चीज़ का पात्र बना देंगे जो सहज एवं मृदुल (आरामदायक) है।
فَذَكِّرْ إِن نَّفَعَتِ الذِّكْرَىٰ |9|87
अतः नसीहत करो, यदि नसीहत लाभप्रद हो! 
سَيَذَّكَّرُ مَن يَخْشَىٰ |10|87
नसीहत हासिल कर लेगा जिसको डर होगा,
وَيَتَجَنَّبُهَا الْأَشْقَى |11|87
 किन्तु उससे कतराएगा वह अत्यन्त दुर्भाग्यवाला,
الَّذِي يَصْلَى النَّارَ الْكُبْرَىٰ |12|87
जो बड़ी आग में पड़ेगा,
ثُمَّ لَا يَمُوتُ فِيهَا وَلَا يَحْيَىٰ |13|87
  फिर वह उसमें न मरेगा न जिएगा।
قَدْ أَفْلَحَ مَن تَزَكَّىٰ |14|87
सफल हो गया वह जिसने अपने आपको निखार लिया, 
وَذَكَرَ اسْمَ رَبِّهِ فَصَلَّىٰ |15|87
और अपने रब के नाम का स्मरण किया, अतः नमाज़ अदा की।
بَلْ تُؤْثِرُونَ الْحَيَاةَ الدُّنْيَا |16|87
 नहीं, बल्कि तुम तो सांसारिक जीवन को प्राथमिकता देते हो,
وَالْآخِرَةُ خَيْرٌ وَأَبْقَىٰ |17|87
  हालाँकि आख़िरत अधिक उत्तम और शेष रहनेवाली है।
إِنَّ هَٰذَا لَفِي الصُّحُفِ الْأُولَىٰ |18|87
  निस्संदेह यही बात पहले की किताबों में भी है;
صُحُفِ إِبْرَاهِيمَ وَمُوسَىٰ |19|87
 इबराहीम और मूसा की किताबों में।