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अल्लाह के नाम से जो बड़ा कृपाशील अत्यन्त दयावान है।
بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
وَيْلٌ لِّلْمُطَفِّفِينَ |1|83
 तबाही है घटानेवालों के लिए,
الَّذِينَ إِذَا اكْتَالُوا عَلَى النَّاسِ يَسْتَوْفُونَ |2|83
जो नापकर लोगों पर नज़र जमाए हुए लेते हैं तो पूरा-पूरा लेते हैं,
وَإِذَا كَالُوهُمْ أَو وَّزَنُوهُمْ يُخْسِرُونَ |3|83
  किन्तु जब उन्हें नापकर या तौलकर देते हैं तो घटाकर देते हैं।
أَلَا يَظُنُّ أُولَٰئِكَ أَنَّهُم مَّبْعُوثُونَ |4|83
क्या वे समझते नहीं कि उन्हें (जीवित होकर) उठना है, 
لِيَوْمٍ عَظِيمٍ |5|83
एक भारी दिन के लिए,
يَوْمَ يَقُومُ النَّاسُ لِرَبِّ الْعَالَمِينَ |6|83
 जिस दिन लोग सारे संसार के रब के सामने खड़े होंगे?
كَلَّا إِنَّ كِتَابَ الْفُجَّارِ لَفِي سِجِّينٍ |7|83
 कुछ नहीं, निश्चय ही दुराचारियों का काग़ज़ 'सिज्जीन' में है।
وَمَا أَدْرَاكَ مَا سِجِّينٌ |8|83
तुम्हें क्या मालूम कि 'सिज्जीन' क्या है? 
كِتَابٌ مَّرْقُومٌ |9|83
 मुहर लगा हुआ काग़ज़।
وَيْلٌ يَوْمَئِذٍ لِّلْمُكَذِّبِينَ |10|83
तबाही है उस दिन झुठलाने-वालों की,
الَّذِينَ يُكَذِّبُونَ بِيَوْمِ الدِّينِ |11|83
  जो बदले के दिन को झुठलाते हैं।
وَمَا يُكَذِّبُ بِهِ إِلَّا كُلُّ مُعْتَدٍ أَثِيمٍ |12|83
और उसे तो बस प्रत्येक वह व्यक्ति ही झुठलाता है जो सीमा का उल्लंघन करनेवाला, पापी है।
إِذَا تُتْلَىٰ عَلَيْهِ آيَاتُنَا قَالَ أَسَاطِيرُ الْأَوَّلِينَ |13|83
  जब हमारी आयतें उसे सुनाई जाती हैं तो कहता है, "ये तो पहलों की कहानियाँ हैं।"
كَلَّا ۖ بَلْ ۜ رَانَ عَلَىٰ قُلُوبِهِم مَّا كَانُوا يَكْسِبُونَ |14|83
कुछ नहीं, बल्कि जो कुछ वे कमाते रहे हैं वह उनके दिलों पर चढ़ गया है।
كَلَّا إِنَّهُمْ عَن رَّبِّهِمْ يَوْمَئِذٍ لَّمَحْجُوبُونَ |15|83
  कुछ नहीं, अवश्य ही वे उस दिन अपने रब से ओट में होंगे,
ثُمَّ إِنَّهُمْ لَصَالُو الْجَحِيمِ |16|83
फिर वे भड़कती आग में जा पड़ेंगे।
ثُمَّ يُقَالُ هَٰذَا الَّذِي كُنتُم بِهِ تُكَذِّبُونَ |17|83
फिर कहा जाएगा, "यह वही है जिसे तुम झुठलाते थे"
كَلَّا إِنَّ كِتَابَ الْأَبْرَارِ لَفِي عِلِّيِّينَ |18|83
कुछ नहीं, निस्संदेह वफ़ादार लोगों का काग़ज़ 'इल्लीयीन' (उच्च श्रेणी के लोगों) में है।-
وَمَا أَدْرَاكَ مَا عِلِّيُّونَ |19|83
और तुम क्या जानो कि 'इल्लीयीन' क्या है? -
كِتَابٌ مَّرْقُومٌ |20|83
लिखा हुआ रजिस्टर
يَشْهَدُهُ الْمُقَرَّبُونَ |21|83
जिसे देखने के लिए सामीप्य प्राप्त लोग उपस्थित होंगे,
إِنَّ الْأَبْرَارَ لَفِي نَعِيمٍ |22|83
निस्संदेह अच्छे लोग नेमतों में होंगे,
عَلَى الْأَرَائِكِ يَنظُرُونَ |23|83
ऊँची मसनदों पर से देख रहे होंगे।
تَعْرِفُ فِي وُجُوهِهِمْ نَضْرَةَ النَّعِيمِ |24|83
 उनके चेहरों से तुम्हें नेमतों की ताज़गी और आभा का बोध हो रहा होगा,
يُسْقَوْنَ مِن رَّحِيقٍ مَّخْتُومٍ |25|83
उन्हें मुहरबंद विशुद्ध पेय पिलाया जाएगा,
خِتَامُهُ مِسْكٌ ۚ وَفِي ذَٰلِكَ فَلْيَتَنَافَسِ الْمُتَنَافِسُونَ |26|83
 मुहर उसकी मुश्क की होगी - जो लोग दूसरों पर बाज़ी ले जाना चाहते हों वे इस चीज़ को प्राप्त करने में बाज़ी ले जाने का प्रयास करें -
وَمِزَاجُهُ مِن تَسْنِيمٍ |27|83
और उसमें 'तसनीम' का मिश्रण होगा,
عَيْنًا يَشْرَبُ بِهَا الْمُقَرَّبُونَ |28|83
हाल यह है कि वह एक स्रोत है, जिसपर बैठकर सामीप्य प्राप्त लोग पिएँगे।
إِنَّ الَّذِينَ أَجْرَمُوا كَانُوا مِنَ الَّذِينَ آمَنُوا يَضْحَكُونَ |29|83
जो अपराधी हैं वे ईमान लानेवालों पर हँसते थे,
وَإِذَا مَرُّوا بِهِمْ يَتَغَامَزُونَ |30|83
और जब उनके पास से गुज़रते तो आपस में आँखों और भौंहों से इशारे करते थे,
وَإِذَا انقَلَبُوا إِلَىٰ أَهْلِهِمُ انقَلَبُوا فَكِهِينَ |31|83
  और जब अपने लोगों की ओर पलटते थे तो चहकते, इतराते हुए पलटते थे,
وَإِذَا رَأَوْهُمْ قَالُوا إِنَّ هَٰؤُلَاءِ لَضَالُّونَ |32|83
  और जब उन्हें देखते तो कहते, "ये तो भटके हुए हैं।"
وَمَا أُرْسِلُوا عَلَيْهِمْ حَافِظِينَ |33|83
  हालाँकि वे उनपर कोई निगरानी करनेवाले बनाकर नहीं भेजे गए थे।
فَالْيَوْمَ الَّذِينَ آمَنُوا مِنَ الْكُفَّارِ يَضْحَكُونَ |34|83
  तो आज ईमान लानेवाले, इनकार करनेवालों पर हँस रहे हैं,
عَلَى الْأَرَائِكِ يَنظُرُونَ |35|83
ऊँची मसनदों पर से देख रहे हैं।
هَلْ ثُوِّبَ الْكُفَّارُ مَا كَانُوا يَفْعَلُونَ |36|83
क्या मिल गया बदला इनकार करनेवालों को उसका जो कुछ वे करते रहे हैं?