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अल्लाह के नाम से जो बड़ा कृपाशील अत्यन्त दयावान है।
بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
ص ۚ وَالْقُرْآنِ ذِي الذِّكْرِ |1|38
साद। क़सम है, याददिहानी-वाले क़ुरआन की (जिसमें कोई कमी नहीं कि धर्मविरोधी सत्य को न समझ सकें)।
بَلِ الَّذِينَ كَفَرُوا فِي عِزَّةٍ وَشِقَاقٍ |2|38
बल्कि जिन्होंने इनकार किया वे गर्व और विरोध में पड़े हुए हैं।
كَمْ أَهْلَكْنَا مِن قَبْلِهِم مِّن قَرْنٍ فَنَادَوا وَّلَاتَ حِينَ مَنَاصٍ |3|38
उनसे पहले हमने कितनी ही पीढ़ियों को विनष्ट किया, तो वे लगे पुकारने। किन्तु वह समय हटने-बचने का न था।
وَعَجِبُوا أَن جَاءَهُم مُّنذِرٌ مِّنْهُمْ ۖ وَقَالَ الْكَافِرُونَ هَٰذَا سَاحِرٌ كَذَّابٌ |4|38
उन्होंने आश्चर्य किया इसपर कि उनके पास उन्हीं में से एक सचेतकर्ता आया और इनकार करनेवाले कहने लगे, "यह जादूगर है बड़ा झूठा।
أَجَعَلَ الْآلِهَةَ إِلَٰهًا وَاحِدًا ۖ إِنَّ هَٰذَا لَشَيْءٌ عُجَابٌ |5|38
क्या उसने सारे उपास्यों को अकेला एक उपास्य ठहरा दिया? निस्संदेह यह तो बहुत अचम्भेवाली चीज़ है!"
وَانطَلَقَ الْمَلَأُ مِنْهُمْ أَنِ امْشُوا وَاصْبِرُوا عَلَىٰ آلِهَتِكُمْ ۖ إِنَّ هَٰذَا لَشَيْءٌ يُرَادُ |6|38
और उनके सरदार (यह कहते हुए) चल खड़े हुए कि "चलते रहो और अपने उपास्यों पर जमे रहो। निस्संदेह यह वांछित चीज़ है।
مَا سَمِعْنَا بِهَٰذَا فِي الْمِلَّةِ الْآخِرَةِ إِنْ هَٰذَا إِلَّا اخْتِلَاقٌ |7|38
यह बात तो हमने पिछले धर्म में सुनी ही नहीं। यह तो बस मनघड़ंत है।
أَأُنزِلَ عَلَيْهِ الذِّكْرُ مِن بَيْنِنَا ۚ بَلْ هُمْ فِي شَكٍّ مِّن ذِكْرِي ۖ بَل لَّمَّا يَذُوقُوا عَذَابِ |8|38
क्या हम सबमें से (चुनकर) इसी पर अनुस्मृति अवतरित हुई है?" नहीं, बल्कि वे मेरी अनुस्मृति के विषय में संदेह में हैं, बल्कि उन्होंने अभी तक मेरी यातना का मज़ा चखा ही नहीं है।
أَمْ عِندَهُمْ خَزَائِنُ رَحْمَةِ رَبِّكَ الْعَزِيزِ الْوَهَّابِ |9|38
या, तेरे प्रभुत्वशाली, बड़े दाता रब की दयालुता के ख़ज़ाने उनके पास हैं?
أَمْ لَهُم مُّلْكُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا ۖ فَلْيَرْتَقُوا فِي الْأَسْبَابِ |10|38
या, आकाशों और धरती और जो कुछ उनके बीच है, उन सबकी बादशाही उन्हीं की है? फिर तो चाहिए कि वे रस्सियों द्वारा ऊपर चढ़ जाएँ।
جُندٌ مَّا هُنَالِكَ مَهْزُومٌ مِّنَ الْأَحْزَابِ |11|38
वह एक साधारण सेना है (विनष्ट होनेवाले) दलों में से, वहाँ मात खाना जिसकी नियति है।
كَذَّبَتْ قَبْلَهُمْ قَوْمُ نُوحٍ وَعَادٌ وَفِرْعَوْنُ ذُو الْأَوْتَادِ |12|38
उनसे पहले नूह की क़ौम और आद और मेखोंवाले फ़िरऔन ने झुठलाया।
وَثَمُودُ وَقَوْمُ لُوطٍ وَأَصْحَابُ الْأَيْكَةِ ۚ أُولَٰئِكَ الْأَحْزَابُ |13|38
और समूद और लूत की क़ौम और 'ऐकावाले' भी, ये हैं वे दल।
إِن كُلٌّ إِلَّا كَذَّبَ الرُّسُلَ فَحَقَّ عِقَابِ |14|38
उनमें से प्रत्येक ने रसूलों को झुठलाया, तो मेरी ओर से दंड अवश्यम्भावी होकर रहा।
وَمَا يَنظُرُ هَٰؤُلَاءِ إِلَّا صَيْحَةً وَاحِدَةً مَّا لَهَا مِن فَوَاقٍ |15|38
इन्हें बस एक चीख़ की प्रतीक्षा है जिसमें तनिक भी अवकाश न होगा।
وَقَالُوا رَبَّنَا عَجِّل لَّنَا قِطَّنَا قَبْلَ يَوْمِ الْحِسَابِ |16|38
वे कहते हैं, "ऐ हमारे रब! हिसाब के दिन से पहले ही शीघ्र हमारा हिस्सा दे दे।"
اصْبِرْ عَلَىٰ مَا يَقُولُونَ وَاذْكُرْ عَبْدَنَا دَاوُودَ ذَا الْأَيْدِ ۖ إِنَّهُ أَوَّابٌ |17|38
वे जो कुछ कहते हैं उसपर धैर्य से काम लो और ज़ोर व शक्तिवाले हमारे बन्दे दाऊद को याद करो। निश्चय ही वह (अल्लाह की ओर) बहुत रुजू करनेवाला था।
إِنَّا سَخَّرْنَا الْجِبَالَ مَعَهُ يُسَبِّحْنَ بِالْعَشِيِّ وَالْإِشْرَاقِ |18|38
हमने पर्वतों को उसके साथ वशीभूत कर दिया था कि प्रातःकाल और सन्ध्या समय तसबीह करते रहें।
وَالطَّيْرَ مَحْشُورَةً ۖ كُلٌّ لَّهُ أَوَّابٌ |19|38
और पक्षियों को भी, जो एकत्र हो जाते थे। प्रत्येक उसके आगे रुजू रहता।
وَشَدَدْنَا مُلْكَهُ وَآتَيْنَاهُ الْحِكْمَةَ وَفَصْلَ الْخِطَابِ |20|38
हमने उसका राज्य सुदृढ़ कर दिया था और उसे तत्वदर्शिता प्रदान की थी और निर्णायक बात कहने की क्षमता प्रदान की थी।
۞ وَهَلْ أَتَاكَ نَبَأُ الْخَصْمِ إِذْ تَسَوَّرُوا الْمِحْرَابَ |21|38
और क्या तुम्हें उन विवादियों की ख़बर पहुँची है? जब वे दीवार पर चढ़कर मेहराब (एकान्त कक्ष) में आ पहुँचे।
إِذْ دَخَلُوا عَلَىٰ دَاوُودَ فَفَزِعَ مِنْهُمْ ۖ قَالُوا لَا تَخَفْ ۖ خَصْمَانِ بَغَىٰ بَعْضُنَا عَلَىٰ بَعْضٍ فَاحْكُم بَيْنَنَا بِالْحَقِّ وَلَا تُشْطِطْ وَاهْدِنَا إِلَىٰ سَوَاءِ الصِّرَاطِ |22|38
जब वे दाऊद के पास पहुँचे तो वह उनसे सहम गया। वे बोले, "डरिए नहीं, हम दो विवादी हैं। हममें से एक ने दूसरे पर ज़्यादती की है; तो आप हमारे बीच ठीक-ठीक फ़ैसला कर दीजिए। और बात को दूर न डालिए और हमें ठीक मार्ग बता दीजिए।
إِنَّ هَٰذَا أَخِي لَهُ تِسْعٌ وَتِسْعُونَ نَعْجَةً وَلِيَ نَعْجَةٌ وَاحِدَةٌ فَقَالَ أَكْفِلْنِيهَا وَعَزَّنِي فِي الْخِطَابِ |23|38
यह मेरा भाई है। इसके पास निन्यानबे दुंबियाँ हैं और मेरे पास एक दुंबी है। अब इसका कहना है कि इसे भी मुझे सौंप दे और बातचीत में इसने मुझे दबा लिया।"
قَالَ لَقَدْ ظَلَمَكَ بِسُؤَالِ نَعْجَتِكَ إِلَىٰ نِعَاجِهِ ۖ وَإِنَّ كَثِيرًا مِّنَ الْخُلَطَاءِ لَيَبْغِي بَعْضُهُمْ عَلَىٰ بَعْضٍ إِلَّا الَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ وَقَلِيلٌ مَّا هُمْ ۗ وَظَنَّ دَاوُودُ أَنَّمَا فَتَنَّاهُ فَاسْتَغْفَرَ رَبَّهُ وَخَرَّ رَاكِعًا وَأَنَابَ ۩ |24|38
उसने कहा, "इसने अपनी दुंबियों के साथ तेरी दुंबी को मिला लेने की माँग करके निश्चय ही तुझपर ज़ुल्म किया है। और निस्संदेह बहुत-से साथ मिलकर रहनेवाले एक-दूसरे पर ज़्यादती करते हैं, सिवाय उन लोगों के जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए। किन्तु ऐसे लोग थोड़े ही हैं।" अब दाऊद समझ गया कि यह तो हमने उसे परीक्षा में डाला है। अतः उसने अपने रब से क्षमा-याचना की और झुककर (सीधे सजदे में) गिर पड़ा और रुजू हुआ।
فَغَفَرْنَا لَهُ ذَٰلِكَ ۖ وَإِنَّ لَهُ عِندَنَا لَزُلْفَىٰ وَحُسْنَ مَآبٍ |25|38
तो हमने उसका वह क़सूर माफ़ कर दिया। और निश्चय ही हमारे यहाँ उसके लिए अनिवार्यतः सामीप्य और उत्तम ठिकाना है।
يَا دَاوُودُ إِنَّا جَعَلْنَاكَ خَلِيفَةً فِي الْأَرْضِ فَاحْكُم بَيْنَ النَّاسِ بِالْحَقِّ وَلَا تَتَّبِعِ الْهَوَىٰ فَيُضِلَّكَ عَن سَبِيلِ اللَّهِ ۚ إِنَّ الَّذِينَ يَضِلُّونَ عَن سَبِيلِ اللَّهِ لَهُمْ عَذَابٌ شَدِيدٌ بِمَا نَسُوا يَوْمَ الْحِسَابِ |26|38
"ऐ दाऊद! हमने धरती में तुझे ख़लीफ़ा (उत्तराधिकारी) बनाया है। अतः तू लोगों के बीच हक़ के साथ फ़ैसला करना और अपनी इच्छा का अनुपालन न करना कि वह तुझे अल्लाह के मार्ग से भटका दे। जो लोग अल्लाह के मार्ग से भटकते हैं, निश्चय ही उनके लिए कठोर यातना है, क्योंकि वे हिसाब के दिन को भूले रहे।-
وَمَا خَلَقْنَا السَّمَاءَ وَالْأَرْضَ وَمَا بَيْنَهُمَا بَاطِلًا ۚ ذَٰلِكَ ظَنُّ الَّذِينَ كَفَرُوا ۚ فَوَيْلٌ لِّلَّذِينَ كَفَرُوا مِنَ النَّارِ |27|38
हमने आकाश और धरती को और जो कुछ उनके बीच है, व्यर्थ नहीं पैदा किया। यह तो उन लोगों का गुमान है जिन्होंने इनकार किया। अतः आग में झोंके जाने के कारण इनकार करनेवालों की बड़ी दुर्गति है।
أَمْ نَجْعَلُ الَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ كَالْمُفْسِدِينَ فِي الْأَرْضِ أَمْ نَجْعَلُ الْمُتَّقِينَ كَالْفُجَّارِ |28|38
(क्या हम उनको जो समझते हैं कि जगत की संरचना व्यर्थ नहीं है, उनके समान कर देंगे जो जगत को निरर्थक मानते हैं।) या हम उन लोगों को जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए, उनके समान कर देंगे जो धरती में बिगाड़ पैदा करते हैं; या डर रखनेवालों को हम दुराचारियों जैसा कर देंगे?
كِتَابٌ أَنزَلْنَاهُ إِلَيْكَ مُبَارَكٌ لِّيَدَّبَّرُوا آيَاتِهِ وَلِيَتَذَكَّرَ أُولُو الْأَلْبَابِ |29|38
यह एक बरकत वाली किताब है, जिसे हमने तुम्हारी ओर अवतरित किया है ताकि वे लोग इसकी आयतों पर सोच-विचार करें और ताकि बुद्धि और समझवाले इससे शिक्षा ग्रहण करें।-
وَوَهَبْنَا لِدَاوُودَ سُلَيْمَانَ ۚ نِعْمَ الْعَبْدُ ۖ إِنَّهُ أَوَّابٌ |30|38
और हमने दाऊद को सुलैमान प्रदान किया। वह कितना अच्छा बन्दा था! निश्चय ही वह बहुत ही रुजू रहनेवाला था।
إِذْ عُرِضَ عَلَيْهِ بِالْعَشِيِّ الصَّافِنَاتُ الْجِيَادُ |31|38
याद करो, जबकि सन्ध्या समय उसके सामने सधे हुए द्रुतगामी घोड़े हाज़िर किए गए।
فَقَالَ إِنِّي أَحْبَبْتُ حُبَّ الْخَيْرِ عَن ذِكْرِ رَبِّي حَتَّىٰ تَوَارَتْ بِالْحِجَابِ |32|38
तो उसने कहा, "मैंने इनके प्रति प्रेम अपने रब की याद के कारण अपनाया है।" यहाँ तक कि वे (घोड़े) ओट में छिप गए।
رُدُّوهَا عَلَيَّ ۖ فَطَفِقَ مَسْحًا بِالسُّوقِ وَالْأَعْنَاقِ |33|38
"उन्हें मेरे पास वापस लाओ!" फिर वह उनकी पिंडलियों और गरदनों पर हाथ फेरने लगा।
وَلَقَدْ فَتَنَّا سُلَيْمَانَ وَأَلْقَيْنَا عَلَىٰ كُرْسِيِّهِ جَسَدًا ثُمَّ أَنَابَ |34|38
निश्चय ही हमने सुलैमान को भी परीक्षा में डाला। और हमने उसके तख़्त पर एक धड़ डाल दिया। फिर वह रुजू हुआ।
قَالَ رَبِّ اغْفِرْ لِي وَهَبْ لِي مُلْكًا لَّا يَنبَغِي لِأَحَدٍ مِّن بَعْدِي ۖ إِنَّكَ أَنتَ الْوَهَّابُ |35|38
उसने कहा, "ऐ मेरे रब! मुझे क्षमा कर दे और मुझे वह राज्य प्रदान कर, जो मेरे पश्चात किसी के लिए शोभनीय न हो। निश्चय ही तू बड़ा दाता है।"
فَسَخَّرْنَا لَهُ الرِّيحَ تَجْرِي بِأَمْرِهِ رُخَاءً حَيْثُ أَصَابَ |36|38
तब हमने वायु को उसके लिए वशीभूत कर दिया, जो उसके आदेश से, जहाँ वह पहुँचना चाहता, सरलतापूर्वक चलती थी।
وَالشَّيَاطِينَ كُلَّ بَنَّاءٍ وَغَوَّاصٍ |37|38
और शैतानों को भी (वशीभुत कर दिया), प्रत्येक निर्माता और ग़ोताख़ोर को।
وَآخَرِينَ مُقَرَّنِينَ فِي الْأَصْفَادِ |38|38
और दूसरों को भी जो ज़ंजीरों में जकड़े हुए रहते।
هَٰذَا عَطَاؤُنَا فَامْنُنْ أَوْ أَمْسِكْ بِغَيْرِ حِسَابٍ |39|38
"यह हमारी बेहिसाब देन है। अब एहसान करो या रोको।"
وَإِنَّ لَهُ عِندَنَا لَزُلْفَىٰ وَحُسْنَ مَآبٍ |40|38
और निश्चय ही हमारे यहाँ उसके लिए अनिवार्यतः सामीप्य और उत्तम ठिकाना है।
وَاذْكُرْ عَبْدَنَا أَيُّوبَ إِذْ نَادَىٰ رَبَّهُ أَنِّي مَسَّنِيَ الشَّيْطَانُ بِنُصْبٍ وَعَذَابٍ |41|38
हमारे बन्दे अय्यूब को भी याद करो, जब उसने अपने रब को पुकारा कि "शैतान ने मुझे दुख और पीड़ा पहुँचा रखी है।"
ارْكُضْ بِرِجْلِكَ ۖ هَٰذَا مُغْتَسَلٌ بَارِدٌ وَشَرَابٌ |42|38
"अपना पाँव (धरती पर) मार, यह है ठंडा (पानी) नहाने को और पीने को।"
وَوَهَبْنَا لَهُ أَهْلَهُ وَمِثْلَهُم مَّعَهُمْ رَحْمَةً مِّنَّا وَذِكْرَىٰ لِأُولِي الْأَلْبَابِ |43|38
और हमने उसे उसके परिजन दिए और उनके साथ वैसे ही और भी; अपनी ओर से दयालुता के रूप में और बुद्धि और समझ रखनेवालों के लिए शिक्षा के रूप में।
وَخُذْ بِيَدِكَ ضِغْثًا فَاضْرِب بِّهِ وَلَا تَحْنَثْ ۗ إِنَّا وَجَدْنَاهُ صَابِرًا ۚ نِّعْمَ الْعَبْدُ ۖ إِنَّهُ أَوَّابٌ |44|38
"और अपने हाथ में तिनकों का एक मुट्ठा ले और उससे मार और अपनी क़सम न तोड़।" निश्चय ही हमने उसे धैर्यवान पाया, क्या ही अच्छा बन्दा! निस्संदेह वह बड़ा ही रुजू रहनेवाला था।
وَاذْكُرْ عِبَادَنَا إِبْرَاهِيمَ وَإِسْحَاقَ وَيَعْقُوبَ أُولِي الْأَيْدِي وَالْأَبْصَارِ |45|38
हमारे बन्दों, इबराहीम और इसहाक़ और याक़ूब को भी याद करो, जो हाथों (शक्ति) और निगाहोंवाले (ज्ञान-चक्षुवाले) थे।
إِنَّا أَخْلَصْنَاهُم بِخَالِصَةٍ ذِكْرَى الدَّارِ |46|38
निस्संदेह हमने उन्हें एक विशिष्ट बात के लिए चुन लिया था और वह वास्तविक घर (आख़िरत) की याद थी।
وَإِنَّهُمْ عِندَنَا لَمِنَ الْمُصْطَفَيْنَ الْأَخْيَارِ |47|38
और निश्चय ही वे हमारे यहाँ चुने हुए नेक लोगों में से हैं।
وَاذْكُرْ إِسْمَاعِيلَ وَالْيَسَعَ وَذَا الْكِفْلِ ۖ وَكُلٌّ مِّنَ الْأَخْيَارِ |48|38
इसमाईल और अल-यसअ और ज़ुलकिफ़्ल को भी याद करो। इनमें से प्रत्येक ही अच्छा रहा है।
هَٰذَا ذِكْرٌ ۚ وَإِنَّ لِلْمُتَّقِينَ لَحُسْنَ مَآبٍ |49|38
यह एक अनुस्मृति है। और निश्चय ही डर रखनेवालों के लिए अच्छा ठिकाना है।
جَنَّاتِ عَدْنٍ مُّفَتَّحَةً لَّهُمُ الْأَبْوَابُ |50|38
सदैव रहने के बाग़ हैं, जिनके द्वार उनके लिए खुले होंगे।
مُتَّكِئِينَ فِيهَا يَدْعُونَ فِيهَا بِفَاكِهَةٍ كَثِيرَةٍ وَشَرَابٍ |51|38
उनमें वे तकिया लगाए हुए होंगे। वहाँ वे बहुत-से मेवे और पेय मँगवाते होंगे।
۞ وَعِندَهُمْ قَاصِرَاتُ الطَّرْفِ أَتْرَابٌ |52|38
और उनके पास निगाहें बचाए रखनेवाली स्त्रियाँ होंगी, जो समान अवस्था की होंगी।
هَٰذَا مَا تُوعَدُونَ لِيَوْمِ الْحِسَابِ |53|38
यह है वह चीज़, जिसका हिसाब के दिन के लिए तुमसे वादा किया जाता है।
إِنَّ هَٰذَا لَرِزْقُنَا مَا لَهُ مِن نَّفَادٍ |54|38
यह हमारा दिया है, जो कभी समाप्त न होगा।
هَٰذَا ۚ وَإِنَّ لِلطَّاغِينَ لَشَرَّ مَآبٍ |55|38
एक ओर यह है, किन्तु सरकशों के लिए बहुत बुरा ठिकाना है;
جَهَنَّمَ يَصْلَوْنَهَا فَبِئْسَ الْمِهَادُ |56|38
जहन्नम, जिसमें वे प्रवेश करेंगे। तो वह बहुत ही बुरा विश्राम-स्थल है!
هَٰذَا فَلْيَذُوقُوهُ حَمِيمٌ وَغَسَّاقٌ |57|38
यह है, अब उन्हें इसे चखना है - खौलता हुआ पानी और रक्तयुक्त पीप
وَآخَرُ مِن شَكْلِهِ أَزْوَاجٌ |58|38
और इसी प्रकार की दूसरी और भी चीज़ें।
هَٰذَا فَوْجٌ مُّقْتَحِمٌ مَّعَكُمْ ۖ لَا مَرْحَبًا بِهِمْ ۚ إِنَّهُمْ صَالُو النَّارِ |59|38
"यह एक भीड़ है जो तुम्हारे साथ घुसी चली आ रही है। कोई आवभगत उनके लिए नहीं। वे तो आग में पड़नेवाले हैं।"
قَالُوا بَلْ أَنتُمْ لَا مَرْحَبًا بِكُمْ ۖ أَنتُمْ قَدَّمْتُمُوهُ لَنَا ۖ فَبِئْسَ الْقَرَارُ |60|38
वे कहेंगे, "नहीं, बल्कि तुम। तुम्हारे लिए कोई आवभगत नहीं। तुम्ही यह हमारे आगे लाए हो। तो बहुत ही बुरी है यह ठहरने की जगह!"
قَالُوا رَبَّنَا مَن قَدَّمَ لَنَا هَٰذَا فَزِدْهُ عَذَابًا ضِعْفًا فِي النَّارِ |61|38
वे कहेंगे, "ऐ हमारे रब! जो हमारे आगे यह (मुसीबत) लाया उसे आग में दोहरी यातना दे!"
وَقَالُوا مَا لَنَا لَا نَرَىٰ رِجَالًا كُنَّا نَعُدُّهُم مِّنَ الْأَشْرَارِ |62|38
और वे कहेंगे, "क्या बात है कि हम उन लोगों को नहीं देखते जिनकी गणना हम बुरों में करते थे?
أَتَّخَذْنَاهُمْ سِخْرِيًّا أَمْ زَاغَتْ عَنْهُمُ الْأَبْصَارُ |63|38
क्या हमने यूँ ही उनका मज़ाक बनाया था, या उनसे निगाहें चूक गई हैं?"
إِنَّ ذَٰلِكَ لَحَقٌّ تَخَاصُمُ أَهْلِ النَّارِ |64|38
निस्संदेह आग में पड़नेवालों का यह आपस का झगड़ा तो अवश्य होना है।
قُلْ إِنَّمَا أَنَا مُنذِرٌ ۖ وَمَا مِنْ إِلَٰهٍ إِلَّا اللَّهُ الْوَاحِدُ الْقَهَّارُ |65|38
कह दो, "मैं तो बस एक सचेत करनेवाला हूँ। कोई पूज्य-प्रभु नहीं सिवाय अल्लाह के, जो अकेला है, सबपर क़ाबू रखनेवाला;
رَبُّ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا الْعَزِيزُ الْغَفَّارُ |66|38
आकाशों और धरती का रब है, और जो कुछ इन दोनों के बीच है उसका भी, अत्यन्त प्रभुत्वशाली, बड़ा क्षमाशील।"
قُلْ هُوَ نَبَأٌ عَظِيمٌ |67|38
कह दो, "वह एक बड़ी ख़बर है, ‘
أَنتُمْ عَنْهُ مُعْرِضُونَ |68|38
जिसे तुम ध्यान में नहीं ला रहे हो।
مَا كَانَ لِيَ مِنْ عِلْمٍ بِالْمَلَإِ الْأَعْلَىٰ إِذْ يَخْتَصِمُونَ |69|38
मुझे 'मलए आला' (ऊपरी लोक के फ़रिश्तों) का कोई ज्ञान नहीं था, जब वे वाद-विवाद कर रहे थे।
إِن يُوحَىٰ إِلَيَّ إِلَّا أَنَّمَا أَنَا نَذِيرٌ مُّبِينٌ |70|38
मेरी ओर तो बस इसलिए प्रकाशना की जाती है कि मैं खुल्लम-खुल्ला सचेत करनेवाला हूँ।"
إِذْ قَالَ رَبُّكَ لِلْمَلَائِكَةِ إِنِّي خَالِقٌ بَشَرًا مِّن طِينٍ |71|38
याद करो जब तुम्हारे रब ने फ़रिश्तों से कहा कि "मैं मिट्टी से एक मनुष्य पैदा करनेवाला हूँ।
فَإِذَا سَوَّيْتُهُ وَنَفَخْتُ فِيهِ مِن رُّوحِي فَقَعُوا لَهُ سَاجِدِينَ |72|38
तो जब मैं उसको ठीक-ठाक कर दूँ औऱ उसमें अपनी रूह फूँक दूँ, तो तुम उसके आगे सजदे में गिर जाना।"
فَسَجَدَ الْمَلَائِكَةُ كُلُّهُمْ أَجْمَعُونَ |73|38
तो सभी फ़रिश्तों ने सजदा किया, सिवाय इबलीस के।
إِلَّا إِبْلِيسَ اسْتَكْبَرَ وَكَانَ مِنَ الْكَافِرِينَ |74|38
उसने घमंड किया और इनकार करनेवालों में से हो गया।
قَالَ يَا إِبْلِيسُ مَا مَنَعَكَ أَن تَسْجُدَ لِمَا خَلَقْتُ بِيَدَيَّ ۖ أَسْتَكْبَرْتَ أَمْ كُنتَ مِنَ الْعَالِينَ |75|38
कहा, "ऐ इबलीस! तूझे किस चीज़ ने उसको सजदा करने से रोका जिसे मैंने अपने दोनों हाथों से बनाया? क्या तूने घमंड किया, या तू कोई ऊँची हस्ती है?"
قَالَ أَنَا خَيْرٌ مِّنْهُ ۖ خَلَقْتَنِي مِن نَّارٍ وَخَلَقْتَهُ مِن طِينٍ |76|38
उसने कहा, "मैं उससे उत्तम हूँ। तूने मुझे आग से पैदा किया और उसे मिट्टी से पैदा किया।"
قَالَ فَاخْرُجْ مِنْهَا فَإِنَّكَ رَجِيمٌ |77|38
कहा, "अच्छा, निकल जा यहाँ से, क्योंकि तू धुत्कारा हुआ है।
وَإِنَّ عَلَيْكَ لَعْنَتِي إِلَىٰ يَوْمِ الدِّينِ |78|38
और निश्चय ही बदला दिए जाने के दिन तक तुझपर मेरी लानत है।"
قَالَ رَبِّ فَأَنظِرْنِي إِلَىٰ يَوْمِ يُبْعَثُونَ |79|38
उसने कहा, "ऐ मेरे रब! फिर तू मुझे उस दिन तक के लिए मुहल्लत दे, जबकि लोग (जीवित करके) उठाए जाएँगे।"
قَالَ فَإِنَّكَ مِنَ الْمُنظَرِينَ |80|38
कहा, "अच्छा, तुझे निश्चित एवं
إِلَىٰ يَوْمِ الْوَقْتِ الْمَعْلُومِ |81|38
ज्ञात समय तक मुहलत है।"
قَالَ فَبِعِزَّتِكَ لَأُغْوِيَنَّهُمْ أَجْمَعِينَ |82|38
उसने कहा, "तेरे प्रताप की सौगन्ध! मैं अवश्य उन सबको बहकाकर रहूँगा,
إِلَّا عِبَادَكَ مِنْهُمُ الْمُخْلَصِينَ |83|38
सिवाय उनमें से तेरे उन बन्दों के, जो चुने हुए हैं।"
قَالَ فَالْحَقُّ وَالْحَقَّ أَقُولُ |84|38
कहा, "तो यह सत्य है और मैं सत्य ही कहता हूँ।
لَأَمْلَأَنَّ جَهَنَّمَ مِنكَ وَمِمَّن تَبِعَكَ مِنْهُمْ أَجْمَعِينَ |85|38
कि मैं जहन्नम को तुझसे और उन सबसे भर दूँगा, जिन्होंने उनमें से तेरा अनुसरण किया होगा।"
قُلْ مَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ وَمَا أَنَا مِنَ الْمُتَكَلِّفِينَ |86|38
कह दो, "मैं इसपर तुमसे कोई पारिश्रमिक नहीं माँगता और न मैं बनावट करनेवालों में से हूँ।"
إِنْ هُوَ إِلَّا ذِكْرٌ لِّلْعَالَمِينَ |87|38
वह तो एक अनुस्मृति है सारे संसारवालों के लिए।
وَلَتَعْلَمُنَّ نَبَأَهُ بَعْدَ حِينٍ |88|38
और थोड़ी ही अवधि के पश्चात उसकी दी हुई ख़बर तुम्हें मालूम हो जाएगी।