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अल्लाह के नाम से जो बड़ा कृपाशील अत्यन्त दयावान है।
بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
أَلْهَاكُمُ التَّكَاثُرُ |1|102
तुम्हें एक-दूसरे के मुक़ाबले में बहुतायत के प्रदर्शन और घमंड ने ग़फ़़लत में डाल रखा है,
حَتَّىٰ زُرْتُمُ الْمَقَابِرَ |2|102
 यहाँ तक कि तुम क़ब्रिस्तानों में पहुँच गए। 
كَلَّا سَوْفَ تَعْلَمُونَ |3|102
 कुछ नहीं, तुम शीघ्र ही जान लोगे।
ثُمَّ كَلَّا سَوْفَ تَعْلَمُونَ |4|102
  फिर, कुछ नहीं, तुम्हें शीघ्र ही मालूम हो जाएगा -
كَلَّا لَوْ تَعْلَمُونَ عِلْمَ الْيَقِينِ |5|102
 कुछ नहीं, अगर तुम विश्वसनीय ज्ञान के रूप में जान लो! (तो तुम धन-दौलत के पुजारी न बनो) - 
لَتَرَوُنَّ الْجَحِيمَ |6|102
अवश्य ही तुम भड़कती आग से दो-चार होगे।
ثُمَّ لَتَرَوُنَّهَا عَيْنَ الْيَقِينِ |7|102
 फिर सुनो, उसे अवश्य देखोगे इस दशा में कि वह यथावत विश्वास होगा।
ثُمَّ لَتُسْأَلُنَّ يَوْمَئِذٍ عَنِ النَّعِيمِ |8|102
  फिर निश्चय ही उस दिन तुमसे नेमतों के बारे में पूछा जाएगा।